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आयुर्वेद अवतरण से तात्पर्य

by Darshana Bhawsar
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आयुर्वेद

अवतरण का अर्थ है अवतार। अवतार- करोड़ों-अरबो में किसी एक का अद्भुत जन्म है जो कभी कभार ही होता है। महामानव हमेशा ही अवतार लेते हैं बाकी सहज ही जन्म लेते हैं और मर जाते हैं। जबकि अवतारी का जन्म किसी महान उद्देश्य की पूर्ति हेतु होता है। जो काम पूरा होते ही गमन कर जाते हैं। यह मानव होकर भी मानवों से बहुत ऊपर होते हैं। इन्हें ही अवतारी पुरुष की संज्ञा दी गई है। इन्हीं लोगों के नाम से उनके जन्म-मरण दिन विशेष दिवस के रुप में मनाये जाते हैं। आयुर्वेद अवतरण भी इसी के समान है।

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रामकृष्ण परमहंस, दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी आदि सभी अवतारी मानव थे जो अपने पीछे एक अमूल्य विरासत छोड गये। अवतारी की पहचान भी यही है कि वो मरकर भी मरते नहीं है अपितु वो यादो में अमर हो जाते हैं। आयुर्वेद से जुडी हुई कई ऐसी ही पुस्तकें हैं जो विशाल धरोहर हैं एवं इसमें आयुर्वेद अवतरण का पूर्ण स्वरुप देखने को मिलता है। आयुर्वेद संग्रह में कई ऐसी औषधि जो कठिन तपस्या और शोध के बाद बनायीं गयी है और किसी विशेष कारण से। आयुर्वेद अवतरण भी इन्ही महान व्यक्तियों की तरह ही है जिसने दुनिया को कई ऐसे रोगों से मुक्त कराया जिनसे लड़ पाना मुश्किल था। अब तो आयुर्वेद ने कई गुना तरक्की कर ली है।

आयुर्वेद

आयुर्वेद अवतरण के कारण मनुष्य को बहुत फ़ायदा हुआ है क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना चिकित्सा विज्ञान है आयुर्वेद। आयुर्वेद संग्रह में सभी दवाओं और बिमारियों के बारे में विस्तार से बताया गया है कुछ बीमारियाँ तो बहुत ही दुर्लभ हैं लेकिन आयुर्वेद में उनका सम्पूर्ण इलाज संभव है। आयुर्वेद संग्रह वैध द्वारा कठिन परिश्रम से लिया गया ज्ञान है जो मानव की सेवा के लिए अवतरित हुआ है। ह्रदय रोग जैसी बिमारियों पर भी आयुर्वेद ने काबू पा लिया है और कैंसर जैसी दुर्लभ बीमारी पर भी अब आयुर्वेद का नियंत्रण है। यह आयुर्वेद अवतरण ही है जो आयुर्वेद संग्रह के रूप में कई पुस्तकों में व्याप्त है। आयुर्वेद की कई दवाइयां तो ऐसी हैं जिन्हें आप अपने घर में उपयोग होने वाले सामान से ही बना सकते हैं जैसे जीरा, हल्दी, काला नमक इत्यादि। इन सबका प्रयोग भी आयुर्वेद में दवाई बनाने के लिए किया जाता है।

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