कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के दिखाई दिए साइड इफेक्ट!

by Mahima
corona virus

कोरोनावायरस के खिलाफ पूरे देश में तेजी से टीकाकरण अभियान जारी है। भारत में कोरोना की वैक्सीन रिकॉर्ड स्तर पर लोगों को लगाई जा रही है। जैसा कि सभी जानते हैं वैक्सीन के बाद लोगों में कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो रहे हैं। हाल ही में हुए एक स्टडी के मुताबिक कोरोनावायरस की वैक्सीन का डोज लेने के बाद लोगों में गुलियन बेरी नामक सिंड्रोम की समस्या हो रही है। इस स्टडी के मुताबिक भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को लगवाने के बाद लोगों में एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जिसे गुलियन बेरी सिंड्रोम कहा जाता है, देखा जा रहा है। भारत और इंग्लैंड में हुए इस स्टडी के मुताबिक भारत में कुल 11 ऐसे मामले देखे गए हैं जिनमें कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद गुलियन बेरी की समस्या हुई है। गौरतलब हो देश में अब तक 1.2 मिलियन लोगों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई जा चुकी है। हालांकि वैक्सीन के बाद गुलियन बेरी सिंड्रोम को लेकर शोध अभी जारी है।

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क्या है गुलियन बेरी सिंड्रोम?

एक स्टडी में किए गए दावे के मुताबिक भारत में लोगों को कोविड की वैक्सीन लेने के बाद गुलियन बेरी सिंड्रोम नमक बीमारी हो रही है। यह बीमारी नर्व और इम्यून सिस्टम पर असर करती है। गुलियन बेरी सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की वजह से नर्व सिस्टम के हेल्दी टिश्यू पर प्रभाव पड़ता है। गुलियन बेरी सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का इम्यून सिस्टम, नर्व सिस्टम के हेल्दी टिश्यू पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देता है। आमतौर पर यह सिंड्रोम जीवाणु या वायरल संक्रमण की वजह से होता है। इस सिंड्रोम की वजह से शरीर में लकवा की समस्या भी हो सकती है। ज्यादातर मामलों में गुलियन बेरी सिंड्रोम की वजह से शरीर में अत्यधिक कमजोरी देखी जाती है। भारत और इंग्लैंड में हुए स्टडी के मुताबिक अभी तक इस सिंड्रोम के कुल 11 मामले सामने आये हैं जिनमें 7 मामले केरल राज्य से हैं। इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों ने बीमारी का पता चलने से कुछ दिन पहले ही कोरोनावायरस के खिलाफ काम करने वाली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जिसे कोविशील्ड नाम से जाना जाता है, का डोज लिया था। इस सिंड्रोम को लेकर हुए स्टडी में कहा गया है कि यह बीमारी वैक्सीन का पहला डोज लेने के एक सप्ताह के भीतर हुई है।

गुलियन बेरी सिंड्रोम के कारण

गुलियन बेरी सिंड्रोम को लेकर पूरे विश्व में तमाम शोध और अध्ययन चल रहे हैं। वैज्ञानिकों को अभी तक इस बीमारी के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। हालांकि इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा शरीर की नसों पर हमला किया जाता है जिसकी वजह से ही दिक्कतें होती हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के मुताबिक, “गुलियन बेरी सिंड्रोम के कुछ मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए तंत्रिका तंत्र (Nervous System) पर हमला करती है, बैक्टीरिया और वायरस में मौजूद कुछ रसायन नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं में मौजूद होते हैं जिनकी वजह से इम्यून सिस्टम इन पर हमला करता है।” जानकारी के मुताबिक यह बीमारी सबसे पहले 2009 में अमेरिका में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के बाद हुए टीकाकरण में देखी गयी थी।

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गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण

कोरोना का टीका लगवाने के बाद गुलियन बेरी सिंड्रोम की समस्या को लेकर एनाल्स ऑफ न्यूरोलॉजी द्वारा यह रिपोर्ट जारी की गयी है। इसमें प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक गुलियन बेरी सिंड्रोम की वजह से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में अत्यधिक कमजोरी की समस्या होती है। इस सिंड्रोम की वजह से कमजोरी के साथ शरीर में दर्द और चेहरे का लटक जाना भी होता है। कोरोना की टीका लेने के बाद जिन लोगों में यह सिंड्रोम पाया गया है उन्हें पैरों में झुनझुनी, शरीर की मांसपेशियों में दर्द और बोलने में समस्या जैसी दिक्कतें हुई हैं। गुलियन बेरी सिंड्रोम के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।

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  • शरीर में अत्यधिक कमजोरी
  • उंगलियों, टखनों या कलाई में चुभन
  • चेहरे की मांसपेशियों का लटकना
  • पैरों में कमजोर और दर्द
  • चलने-फिरने में दिक्कत होना
  • बोलने और खाने में दिक्कत
  • आंखों में दर्द
  • शरीर में ऐंठन
  • ब्लड प्रेशर के स्तर में असंतुलन
  • सांस लेने में तकलीफ

कैसे होता है गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज?

गुलियन बेरी सिंड्रोम की समस्या का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिल पाया है। हालांकि इस समस्या की वजह से होने वाली दिक्कतों को कम करने के लिए चिकित्सक कुछ उपचार देते हैं। गुलियन बेरी सिंड्रोम की वजह से तंत्रिका तंत्र को हुए नुकसान को ठीक करने के लिए चिकित्सक प्लाज्मा एक्सचेंज और इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी का सहारा भी लेते हैं। इसके अलावा इस बीमारी से बचाव के लिए उचित और संतुलित खानपान और लक्षण दिखने पर चिकित्सक की सलाह लेना फायदेमंद होता है।