जानकारी: कोविड-19 के लिए पूल परीक्षण क्या है और कैसे होती है पूल टेस्टिंग?

by Naina Chauhan
corona virus
  • पूल टेस्टिंग क्या है?
  • कैसे होती है पूल टेस्टिंग?
  • कोरोनावायरस परीक्षण से कैसे भिन्न है?

आज पूरे देश भर में कोरोना वायरस महामारी का असर दिख रहा है। इस वायरस से हर रोज हजारों लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं, जिनमें अधिक लोगों का सफल इलाज किया जा रहा है। इस वायरस का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु और राजस्थान में है। इन राज्यों में मरीजों की संख्या में रोजाना बढ़ोत्तरी हो रही है। कोरोना वायरस को हराने के लिए चिकित्सा की हर पद्धति को अपनाया जा रहा है, जिनमें आयुर्वेद, एलोपैथ और प्लाज्मा थैरेपी शामिल हैं।

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पूल टेस्टिंग क्या है?

पूल टेस्टिंग में एक साथ पांच लोगों के नाक और गले के स्वैब लिए जाते हैं इसके बाद उनको मिक्स कर एक सैंपल बनाया जाता है। फिर इस सैंपल की जांच होती है, जिसमें पता लगाया जाता है कि सैंपल में कोरोना वायरस नेगेटिव या पॉजिटिव है। वहीं अगर सैंपल नेगेटिव आता है तो पांचों व्यक्तियों को संक्रमण मुक्त माना जाता है। लेकिन अगर ये टेस्ट पॉजिटिव आता है तो बारी-बारी से पांचों व्यक्ति का कोरोना टेस्ट किया जाता है। इससे किट और लैब संबंधी आने वाली समस्या दूर हो जाएगी। इसके साथ ही कोरोना टेस्ट में तेज़ी भी आएगी। 

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कैसे होती है पूल टेस्टिंग

पूल टेस्टिंग के समय एक से ज्यादा सैंपल लेकर एकसाथ टेस्ट करना और कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाना होताहै। पूल टेस्टिंग का इस्तेमाल कम संक्रमण वाले इलाकों में होता है। जहां संक्रमण के ज्यादा मामले हैं वहां पर अलग-अलग जांच ही की जाती है।

पांच लोगों की एकसाथ पूल टेस्टिंग की जा सकती है। कुछ लैब तीन सैंपल लेकर भी टेस्टिंग कर रही हैं। पूल टेस्टिंग के लिए पहले लोगों के गले या नाक से स्वैब का सैंपल लिया जाता है। फिर उसकी टेस्टिंग के जरिए कोविड19 की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।

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पांच लोगों के सैंपल लेने के बाद उन्हें मिलाया जाता है। उनसे पहले आरएनए निकाला जाता है। फिर रियल टाइम पीसीआर (आरटी-पीसीआर) टेस्ट किया जाता है। इसमें पहले स्क्रीनिंग होती है। स्क्रीनिंग ई-जीन का पता लगाने के लिए की जाती है। ई-जीन से कोरोना वायरस के कॉमन जीन का पता लगता है।

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“कोरोना वायरस की एक पूरी फैमिली है जिसमें कई तरह के कोरोना वायरस है। इन्हीं में से एक वायरस है कोविड 19। इनका एक कॉमन ई-जीन होता है। अगर टेस्ट में ये ई-जीन पॉजिटिव आता है तो हमें पता लग जाता है कि इस सैंपल में किसी न किसी तरह का कोरोना वायरस मौजूद है लेकिन ये कोविड 19 ही है ये नहीं कह सकते। इसके लिए अगला टेस्ट करना होता है। इसके बाद सिर्फ कोविड 19 का पता लगाने के लिए टेस्ट किया जाता है।”