जाने क्यों होते हैं जुड़वा बच्चे, पढ़ें उनसे जुड़े मिथक

by Mahima
twins babies

जुड़वां बच्चे जब भी किसी के घर में होते हैं तो उनकी जिम्मेदारी दोगुनी हो जाती है। क्योंकि कई लोग यह मानते हैं कि जुड़वां बच्चे एक जैसे होते हैं। उनका व्यवहार एक समान होता है। वो रोते भी साथ-साथ है और हसंते भी साथा-साथ। आज हम आपको बताएंगे क्या है इसके मिथक।

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क्यों होते हैं जुड़वां बच्चे

जुड़वां बच्चे होना कोई आप्रकृतिक घटना नहीं है। यह उतना ही सामान्य है जितना एक बच्चे का जन्म लेना। केवल कुछ जैविक क्रियाओं के अलग होने से एक ही गर्भ में दो बच्चे हो जाते हैं। आमतौर पर जुड़वां बच्चे दो प्रकार से होते हैं-

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  • डायजाइगॉटिक- महिलाओं के डिंबाशय में हर महीने एक नए डिंब/अंडकोशिका का निर्माण होता है, वहीं पुरुष शुक्राणु अनगिनत होते हैं। संयोगवश कभी-कभी स्त्रियों में 2 अंडकोशिका का प्राकृतिक रूप से भी निर्माण हो जाता है, जिसमें 2 अलग-अलग शुक्राणु के 2 बच्चे जन्म लेते हैं। ये बच्चे थोड़-थोड़े समय के अंतर पर पैदा होते हैं। क्योंकि ये जुड़वा बच्चे अलग-अलग अंडे में होते हैं, इसलिए ये एक-दूसरे से अलग होते हैं। इनकी आदतें और शक्लें एक-दूसरे से नहीं मिलतीं हैं।
  • मोनोजाइगॉटिक- जब स्पर्म स्त्री की अंडकोशिका में 2 कोशिकाओं में बंट जाए तो इससे उस स्त्री को जुड़वा बच्चे होते हैं। क्योंकि ये एक अंडे में एक शुक्राणु के दो हिस्सों में बंटने की वजह से होता है, इसलिए इन बच्चों की आदतें और व्यवहार नहीं मिलता है मगर शक्ल, कद और स्वभाव एक जैसा ही होता है।

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मिथक

  • जुड़वां बच्चों की प्लैसेंटा गर्भनाल एक ही होती है।
  • बच्चों का अनुवांशिक लक्षण और व्यवहार एक जैसा होता है।
  • बच्चे हमेशा या तो दोनों लड़के होते हैं या दोनों लड़किया।
  • जुड़वा बच्चों के जन्म में कुछ मिनटों का अंतर होता।

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