वैज्ञानिक खोजो का दावा: शाम 7 बजे से 10 बजे के बीच रोना वजन कम करने में मददगार

by Dr. Himani Singh
Weight lose

हम सभी व्यक्ति अपनी भावनाएं रोकर या हंस कर व्यक्त करते है। ख़ुशी की खबर मिलते ही हमारे चेहरे के भाव बता देते हैं कि हम कितने खुश हैं और किसी दुख भरी खबर से हमारे चेहरे  के भाव फीके पड़ जाते हैं कई बार  दुख इतना होता है की वह हमारे आखों से आसूं के रूप में भी निकल पड़ता हैं।  देखा  जाये तो  दर्द, तकलीफ, तनाव, मुश्किल और परेशानी की स्थिति और कई बार तो खुशी में भी हमारे आंसू निकल आते हैं। वही कुछ लोग बहुत ही भावुक  होते हैं, छोटी छोटी बात पर उनकी भावनाएं आसूं के रूप में बाहर निकल कर आ जाती हैं। अक्सर लोग रोने को निगेटिव पहलु के रूप में लेते हैं लेकिन वैज्ञानिकों की खोजों के आधार  पर यह बात सामने आई है कि कभी कभी भाबनात्मक रूप से रोना आपके स्वास्थ्य पर पॉजिटिव प्रभाव डालता है। खोजों के अनुसार हमारा  रोना  भी हमारे वजन  को कम करने में मददगार हो सकता है। परन्तु इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि आपके आंसू असली और भावुकता के साथ निकले हों।

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शोध के मुताबिक रोने से भावनात्मक संतुलन संतुलित रहता है। अक्सर देखा  जाता है जब आप बहुत दुखी होते हैं तो जोर जोर से  रोने से आपका तनाव कुछ समय के लिए गायब हो जाता है। क्योकि तनाव के कारण हमारे शरीर में जमा टॉक्सिन रोने के साथ शरीर से बाहर  निकल जाते हैं। हमारा  भावनात्मक पहलू हमारे हार्मोन से जुड़ा होता है जो कोर्टिसोल स्तर को बढ़ाता है।  तनाव-प्रेरित आँसू शरीर से कई प्रकार के विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं,और इस तरह निष्कर्ष निकाला कि रोना एक उत्सर्जन प्रक्रिया है जो ऐसे पदार्थों को हटाती है जो भावनात्मक समय के दौरान तनाव का निर्माण करते हैं।

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वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि भावनात्मक आँसू में हार्मोन होते हैं जो कोर्टिसोल स्तर को बढ़ाते हैं। वे प्रोलैक्टिन, ल्यू-एनकेफेलिन, और एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिन (इनको एसीटीएच भी कहा जाता है) हैं। ये सभी तब उत्पन्न होते हैं जब हम बहुत दबाव में होते हैं।इसलिए जब हम अपनी भावनाओं को दबाते नहीं हैं, और खुल कर  रोते हैं, तो ये हार्मोन एक्टिव होते हैं और हमारा कोर्टिसोल स्तर कम हो जाता है। जिससे हमारा शरीर  ज्यादा फैट को स्टोर नहीं कर पाता। परिणामस्वरूप, हमारे शरीर को यह संकेत मिलता है कि हमारी तनावपूर्ण स्थिति खत्म हो चुकी है।वैज्ञानिकों के अनुसार  भावनात्मक आँसू निकालने का सबसे अच्छा समय लगभग शाम के 7-10 बजे के बीच का होता है। क्योकि यह वह समय होता है जब लोग ज्यादातर उन लोगों के साथ होते हैं जिन्हें वे प्यार करते हैं या जिनके साथ बैठकर अपने दुख को व्यक्त कर सकते हैं।

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अतः यदि आप अपने रिलेशनशिप के ख़त्म होने या  अन्य किसी वजह से कठिन समय से गुजर रहे हैं, तो अपने  मन को शांत करने और अपने सपनों के शरीर के साथ एक नई शुरुआत करने के लिए भावुकतापूर्ण  होकर  रोना आपके लिए  सबसे प्रभावी तरीका साबित होगा।