पीरियड्स के दौरान रक्त के थक्के बनने के कारण और प्राकृतिक उपचार

by Dr. Himani Singh
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प्रत्येक महिला को हर महीने पीरियड्स के दर्द से गुजरना  पड़ता है।  प्रत्येक महिला की बॉडी पीरियड्स के दौरान अलग – अलग तरह से प्रतिक्रिया करती है, कुछ को इन दिनों बहुत अधिक दर्द से गुजरना पड़ता है तो कुछ को हल्के या बहुत ही समान्य दर्द से गुजरना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान आपको किस प्रकार की ब्लीडिंग हो रही है यह आपकी सेहत के बारे में बहुत कुछ बताती है। अधिकांश  महिलाएं  पीरियड्स  के दौरान खुद को काफी कमजोर और  अपने स्वभाव में  चिड़चिड़ापन  महसूस करती हैं क्योंकि ब्लीडिंग व दर्द उन्हें थकान देता है। 

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कुछ महिलाओं को तो  चक्कर व उल्टी जैसी  समस्याओं  से भी गुजरना पड़ता है। अधिकाशतः देखा गया है कि महिलाएं पीरियड्स के दौरान होने वाले  रक्त के बहाव पर ध्यान नहीं देती  है जो कि गलत है, महिलाओं को पीरियड्स के दौरान इस बात का ध्यान  देना चाहिए कि उनके शरीर से रक्त का बहाव किस प्रकार हो रहा है । इन दिनों रक्त का  प्रवाह खुल कर होना चाहिए परन्तु  बहुत ज्यादा रक्त बहना भी सही नहीं हैं क्योंकि इससे शरीर में आयरन व अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती हैं। वही कुछ महिलाओं में  रक्त के थक्के  या  ब्लड क्लॉट  भी देखने को मिलती हैं। ऐसे में कई  महिलाओं के मन में सवाल आता है कि पीरियड्स के दौरान रक्त के  थक्के आना  सामान्य प्रक्रिया है या किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत है।

आइये जानते हैं पीरियड्स के दौरान रक्त के थक्के बनने से जुड़े तथ्यों के बारे में :

क्या पीरियड्स में खून के थक्के आना नार्मल है ?

अधिकांशतः महिलाओं के मन में यह सवाल आता है कि पीरियड्स के दौरान  ब्लड में क्लॉटिंग दिखना समान्य है या चिंता का  विषय , तो  ऐसे में आप को यह बात मालूम होनी चाहिए कि मासिक धर्म  ब्लड सेल्स, यूट्रस की लाइनिंग के टिश्यू और ब्लड में प्रोटीन का मिश्रण  होता है जो की मासिक धर्म के प्रवाह को  रेगुलेट  करने में मदद करते हैं। कुछ चिकित्सा स्थितियां पीरियड्स  के दौरान बड़े रक्त के  थक्कों  का कारण बन सकती हैं, जिसके कारण  हैवी पीरियड्स  या पीरियड के  दौरान  अधिक दर्द  हो सकता है। 

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अधिकांश महिलाओं में पीरियड्स के दौरान छोटे -छोटे रक्त के थक्के आना  स्वभाविक है। यह कोई गंभीर समस्या का संकेत नहीं है।अधिकांश महिलाएं अपने मासिक चक्र में हर 28 से 35 दिन के बीच अपने पीरियड्स से गुजरती है।  इस दौरान गर्भाशय  का  अस्तर  जिसे  एंडोमेट्रियम लाइनिंग कहते है, टूट कर ब्लड फ्लो के साथ बाहर निकलता रहता है। महिलाओं में पाए जाने वाले हॉर्मोन जिसे  एस्ट्रोजन कहा जाता है, के कारण महिला के यूटरस की दीवार  जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं मोटी और घनी होती है। यदि कोई अंडा , पुरुष के स्पर्म से निषेचित होता है तो  ऐसे में यह मोटी दीवार उस निषेचित अंडे की  देखभाल करती है। यदि गर्भावस्था नहीं होती है, तो ऐसे में महिला को  पीरियड्स हो जाते हैं और  इस दौरान एंडोमेट्रियम लाइनिंग टूट कर ब्लड फ्लो के साथ बाहर निकलने लगती है।

रक्त के थक्के शरीर के रक्षा तंत्र का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। मासिक धर्म के थक्के की मोटी, जेली जैसी बनावट बहुत अधिक रक्त को  बाहर निकलने  से रोकने में मदद करती है। मासिक धर्म के थक्के आमतौर पर तब होते हैं जब प्रवाह भारी होता है। वे मासिक धर्म के पहले 2 दिनों के दौरान अधिक आम होता हैं। थक्के का  रंग हल्का या गहरे लाल रंग का  हो  सकता है। अधिक बड़े आकार के थक्के काले या गहरे भूरे रंग के दिख सकते हैं। पीरियड्स के अंतिम दिनों में रक्त का रंग  अधिकांशतः  गहरा और अधिक भूरा दिखाई देने लगता है क्योंकि इस समय रक्त अधिक पुराना होता है और शरीर से कम मात्रा में और रुक रुक कर निकल पाता है।

क्या सभी महिलाओं को पीरियड्स में रक्त के थक्के बनते हैं?

ऐसा बिलकुल  भी नहीं  हर महिला को पीरियड्स में रक्त के थक्के जैसी समस्या से गुजरना पड़े क्योकि यह  इस बात पर निर्भर करता है कि  महिला के  पीरियड्स भारी हैं या नार्मल। अधिकांशतः द्ख गया है कि प्यूबर्टी के दौरान  लड़कियों में भारी मात्रा में फ्लो होता है, तब ऐसे में  रक्त में थक्के बनने की संभावना अधिक होती है। वही दूसरी ओर प्री मेनोपोज़ल के समयांतराल में भी महिलाओं में  रक्त  के साथ थक्के आने की सम्भावनाहो सकती है।

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पीरियड्स में छोटे थक्के का आना समान्य क्यों है ?

विटामिन K और फाइब्रिनोजन प्रोटीन का रोल हमारे शरीर में  चोट लगने पर खून को जमाना होता है, अतः यही प्रकिर्या पीरियड्स  के समय  शरीर से अधिक रक्त  बहने से रोकने के लिए अपनाई जाती है। पीरियड्स के दौरान क्लॉटस क्यों बनते हैं : वास्तव में जब आपके शरीर में पीरियड वाला ब्लड बाहर निकलने वाला होता है उससे पहले ही हमारा शरीर एंटीकागलेंट्स का स्त्राव करने लगता है जिससे  रक्त  गाढ़ा होने लगता है और थक्के बनने शुरू हो जाते हैं। जब भी पीरियड के दौरान  अधिक  रक्त  निकलने लगता है तो उसी समय विटामिन K और फाइब्रिनोजन प्रोटीन  शरीर से ज्यादा खून बाहर न निकले इसलिए रक्त के थक्के  बनाना  शुरू कर  देते  हैं, जिससे शरीर से अधिक  रक्त बाहर नहीं निकल पाता है।  कई बार अधिक रक्त  निकलने से महिलाओं में आयरन की कमी होने की भी  सम्भावना हो सकती है। ऐसे में क्लॉटिंग शरीर के लिए फायदेमंद होती है।अतः हम कह सकते हैं की समान्य रूप से छोटे छोटे थक्के  दिखना स्वास्थ्य की दृस्टि से अच्छा है, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इन थक्कों का साइज क्या है। अगर थक्के आसानी से बाहर निकल रहे हैं तो ठीक हैं लेकिन अगर इन थक्कों को बाहर निकलते समय महिला को बहुत ही  दर्द  का अनुभव हो  रहा हैं तो  इसका मतलब है की इन थक्कों का साइज बहुत बढ़ा  हो गया है, जो की स्वास्थ्य दृस्टि के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है।

क्या क्लॉट्स किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या का संकेत दे सकते हैं?

वैसे  देखा जाये  तो आपको पीरियड्स के दौरान छोटे – छोटे रक्त के थक्कों के  निकलने  पर आपको  बहुत  अधिक चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं  होती है,  परन्तु कभी-कभी यह समस्या किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकती है। आपके पीरियड्स के साथ अचानक बड़े बड़े रक्त के थक्के आना गर्भपात, इंफेक्शन या किसी बीमारी का संकेत  भी हो सकता है। थक्कों से भरे पीरियड्स गर्भाश्य में गांठ या यूटरस फाइब्रॉएड (  गर्भाशय में होने वाला  एक छोटा सा नॉन-कैंसर)  में वृद्धि का  लक्षण हो सकते हैं। अगर रक्त के थक्के दिखने के साथ थकान और कमज़ोरी भी महसूस होती है, तो यह एनीमिया होने के  संकेत को भी जन्म दे सकता है, एनीमिया होने की स्थिति में आपका शरीर ऑक्सीजन से भरी पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन  सही से नहीं कर पाता है । यदि  आपको  लगता है कि आपको भारी मात्रा में , थक्कों से भरे पीरियड्स के कारण आपको एक घंटे में एक पैड बदलने की जरुरत पड़  रही है साथ ही इसके  कारण  आपको कमज़ोरी या चक्कर भी  महसूस हो रहा हैं, तो आपको तुरंत अपने  डॉक्टर से  सलाह लेना चाहिए।

कब ले डॉक्टर की सलाह :

हर महीने समय से रेग्युलर पीरियड  आना अच्छी सेहत की निशानी मानी जाती हैं,इसे अगर  चिकित्सीय भाषा में कहें तो आपके पिट्युटिरी ग्लैंड आपकी ओवरी तक सही रूप से रासायनिक संदेशवाहक भेज  रही है और आपकी ओवरी सही समय पर हार्मोंस उत्पन्न कर रही हैं। लेकिन यदि आपको  इस दौरान इतना दर्द होता है कि आप  सहन नहीं कर पातीं या हॉट वाटर बोतल के बिना आपका रहना मुश्किल हो रहा हो तो  हो सकता है संभवत: आप डिस्मेनोरिया से पीड़ित हैं,डिस्मेनोरिया में  दर्द पीरियड्स से बिलकुल पहले या पीरियड्स शुरू होने पर होता है और  कम से कम एक दिन से तीन  दिन  तक रह सकता है। अगर  आपको लगता है कि आपका दर्द लगातार बढ़ता  जा रहा है तो  यह आपके  शरीर में कहीं  किसी समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसा पीरिड्स के दौरान अत्यधिक इंफ्लेमेट्ररी केमिकल्स (प्रोस्टाग्लैंडिंस) के अधिक स्राव के कारण भी हो सकता है। कई बार यह  दर्द इन्फेक्शन की वजह से भी  हो सकता है , जिसे हम पेल्विक इंफ्लेमेट्ररी डिजीज (पीआइडी)  के नाम से भी जानते हैं जो ओवरी में सिस्ट  बनने का कारण भी हो सकती है। ऐसे में  आपके  ओवरी में सिस्ट है कि नहीं, यह जानने के लिए आपका डॉक्टर  अल्ट्रासाउंड  कराने की सलाह दे सकता है।

वही दूसरी ओर यदि आपके पीरियड  रेग्यूलर तो हैं परन्तु ब्लीडिंग इतनी हो रही हैं कि दो -दो पैड एक साथ इस्तेमाल करने की जरुरत पड़ रही है और साथ में थक्के भी निकल रहें तो इसे मेनोररेजिया कहा जाता है। यह  इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में  हार्मोनल बैलेंस असंतुलित हो रहें हैं। एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन मासिक चक्र के दौरान  ओवेल्यूशन की प्रक्रिया को संतुलित रखते हैं, इन  दोनों हॉर्मोन्स का बैलेंस  शरीर में बिगड़ने से महिला के शरीर में  ठीक ढंग से ओवेल्यूशन नहीं  हो  पाता है, ओवेल्यूशन की प्रकिर्या सही से न होने पर यूट्रस या सर्विक्स का कैंसर होने का भी खतरा बढ़  सकता है। हैवी ब्लीडिंग होने पर आपका डॉक्टर बायोप्सी कराने की सलाह दे सकता है। इसे अपनी जीवनशैली व डायट में परिवर्तन  करके भी काफी हद तक  ठीक किया जा सकता है।

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अगर आपको सिर्फ ब्लड क्लॉटिंग के साथ कोई और लक्षण नहीं नज़र नहीं आ रहे हैं तो ऐसे में आपको अपने  डॉक्टर के पास  जाने की आवश्यकता नहीं हैं । लेकिन  यदि ब्लड क्लॉटिंग के साथ थकान, कमजोरी , पेट में लगातार कई दिनों तक दर्द के साथ ब्लड क्लॉटिंग महसूस हो रही है तो ऐसे में तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं।

पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट की समस्या से बचने के घरेलू उपाय:

लाल रास्पबेरी पत्ता चाय:

एक  पैन में 1 कप पानी  लें और उसमें  लाल रास्पबेरी चाय  1 चम्मच   डाल  लें अब इसे 5 मिनट  तक उबालें। जब यह थोड़ी ठंडी हो जयिन तो इसमें  थोड़ा शहद मिलाएं और इसका  सेवन करें। रोजाना 2 से 3 बार  इसको पीना  आपको पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लड क्लॉटिंग से आराम दिलाएगा। लाल रास्पबेरी के पत्तों में फ्रैगरिन होता है, एक एल्कालॉइड जो आपके गर्भाशय को टोन करने और आपके हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है।

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इमली:

इमली फाइबर और एंटीऑक्‍सीडेंट्स से भरपूर्ण होती है, जो खून के प्रभाव को  सही रखने में मदद करते हैं और ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने से रोकते हैं। अगर आपको  पीरियड्स के दौरान बहुत  अधिक  ब्‍लीडिंग या क्लॉटिंग की समस्या हो रही हो तो ऐसे में थोड़ी  थोड़ी  इमली का सेवन रोज करने से लाभ होगा।

विटामिन्स :

विटामिन ए, बी, डी, और सी भारी मासिक धर्म के रक्तस्राव या थक्के  में  राहत दिलाने में बहुत ही मददगार साबित  होते हैं। विटामिन ए लाल रक्त कोशिकाओं की उचित प्रतिकृति सुनिश्चित करता है, और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं। बी विटामिन, विशेष रूप से विटामिन बी 6, प्रोस्टाग्लैंडीन के उत्पादन के लिए आवश्यक हैं जो रक्त के थक्कों को कम करने में मदद करते हैं।विटामिन डी अधिक रक्तस्राव को कम करने के लिए हार्मोन को संतुलित करता है और अंत में, विटामिन सी आपकी नाजुक कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं को मजबूत करने में मदद कर सकता है, जिससे रक्त के थक्के कम बनते हैं।

अशोक की छाल:

पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग को रोकने में  अशोक की छाल का सेवन  हमेशा से ही एक  बेहतर विकल्प के रूप  में काम आता है। आयुर्वेद में भी इसके सेवन को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। इसे  प्रयोग में लाने के लिए लगभग 50 ग्राम अशोक की छाल को 2 कप पानी में तब तक उबालें जब तक कि यह आधा ना रह  जाये।  अब इस काढ़े को ठंडा होने पर रोज एक गिलास  पिएं, ऐसा करने से आपको पीरियड्स के दौरान होने वाली अनेकों प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।

मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ :

शोधों से पता चला है कि पीरियड्स में हैवी पीरियड्स और क्लॉटिंग जैसी समस्याओं का  सबसे बड़ा और आम कारण मैग्नीशियम  की कमी है। इसलिए तिल के बीज, तरबूज के बीज, जई, कोको, कद्दू, स्क्वैश और मैग्नीशियम युक्त  खाद्य पदार्थों को अपनी रोज की डाइट में शामिल  करना चाहिए।

सरसों के बीज:

लगभग 40 ग्राम सरसों के सूखे बीज लेकर उन्हें अच्छे से महीन पीसकर उनका बारीक पाउडर बना लें। अब लगभग 2 ग्राम सरसों के बीज के पाउडर को दूध के साथ पीरियड्स से कुछ दिन पहले या  पीरियड्स के दौरान रोज लें। यह हैवी पीरियड्स और अधिक मात्रा में क्लॉटिंग की समस्या से राहत  दिलाने का एक प्रभावी घरेलू उपाय माना जाता है। 

आयरन :  पीरियड्स के दौरान  अधिक रक्तस्राव या थक्के  की  समस्या शरीर में आयरन की कमी  का कारण   हो  सकता है । आयरन की उपस्थिति से  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी  बढ़ती है। इसलिए  अपने आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना न भूलें। बहुत से ऐसे खाद्य पदार्थ है जिनमें आयरन भरपूर मात्रा में होता हैं जिनके नियमित  में आयरन की मात्रा को बनाये  रख सकते हैं।

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  • चुकन्दर : चुकन्‍दर आयरन का  बहुत अच्‍छा स्रोत माना जाता  है। चुकन्‍दर से प्राप्‍त आयरन से ब्लड में हीमोग्‍लोबिन का निर्माण होता है और यह हमारे लाल रक्तकणों  को सक्रिय  बनाता है। आप इसका सेवन रोज अपने आहार में सलाद या सब्जी के रूप में भी कर सकते हैं।
  • जई :  जई आयरन और फाइबर  से युक्त होने के कारण  आपको पूरे दिन भर   शक्ति प्रदान करता है। जई में सोया, दूध, मुंगफली, सूखे मेवे, ताज़े फल, दालचीनी, भूरी शक्कर का उपयोग करके एक स्वादिष्ट व्यंजन तैयार  करके आप इसका नियमित सेवन कर  सकती हैं l
  • बीन्स: बीन्स आयरन से भरपूर एक स्वादिष्ट और सस्ता आहार माना जाता है। बीन्स को आप करी, सूप या  सब्जी के रूप में  अपने आहार के रूप में  शामिल कर  सकते हैं।
  • हरे पत्ते की सब्ज़ियाँ: पालक और विशेष रूप से कोलार्ड जैसी पत्तेदार सब्ज़ियाँ आयरन और अन्य पौष्टिक तत्वों  का भण्डार मानी जाती हैं।  अतः कोशिश करें की नियमितरूप से इनकों आप  शामिल करें।

अदरक :1 चम्मच कस्सा हुआ अदरक लेकर एक कप पानी में डाल  कर  इसे  5 मिनट  तक उबलने दें, इसके बाद इसे ठंडा करके इसमें थोड़ा सा शहद मिलाएं और इसको पिएं । रोजाना दिन में  दो बार  पिने से बहुत लाभ मिलता है। नियमित रूप से अदरक का सेवन  पीरियड्स के दौरान रक्त के प्रवाह और थक्कों को कम ककरने में लाभकारी साबित हो सकता है।

कद्दू के बीज:

कद्दू के बीज में फाइटोस्टेरॉल के साथ-साथ ओमेगा-3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड(जो प्रोस्टाग्लैंडिंस में परिवर्तित हो जाते हैं) से भरपूर होते हैं जो पीरियड्स  के दौरान रक्त के थक्कों को कम करने में मदद प्रदान कर सकते हैं। अतः नियमित रूप से  भुने  हुए कद्दू के बीज के 2 बड़े चम्मच का सेवन करना लाभकारी होता है।

अंजीर की पत्तियां:

अंजीर की ताजा और कोमल पत्तियों से तैयार रस हैवी ब्लीडिंग को रोकने में  बहुत ही लाभकारी माना जाता है। पीरियड्स के दौरान  दिन में कम से कम  2 बार अंजीर का रस या अंजीर की ताजा पत्तियों से तैयार रस का सेवन करना चाहिए।   इस काढ़े को बनाने के लिए एक कप पानी में थोड़ी सी अंजीर की ताजा पत्तियों को लेकर  कम से कम 5  मिनट  तक उबालें, फिर इसे ठंडा करके पी  लें।

लहसुन: लहसुन में एक महत्वपूर्ण यौगिक सल्फर थ्रोम्बोसिस पाया जाता है जो अधिक मात्रा में  रक्त में थक्के बनने को कम करता है। इसलिए, पीरियड्स के दौरान या पहले अधिक मात्रा में लहसुन का सेवन करना आपको पीरियड्स के दौरान  रक्त के थक्कों से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है।लहसुन का सेवन आपको अपनी  दैनिक जीवनशैली में वैसी तो रोज ही करना चाहिए परन्तु पीरियड्स के दौरान इसका अधिक सेवन आपको  रक्त के थक्कों से छुटकारा दिलाने में बहुत लाभकारी होता है।

मसाज: विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा दाबा किया गया है कि विभिन्न प्रकार की मसाज तकनीकें प्रजनन प्रणाली के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और गर्भाशय के चारों ओर रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और व्यवस्थित रखने में मदद  प्रदान करती हैं। ये मसाज तकनीक पीरियड्स के दौरान रक्त प्रवाह  में सुधार करके, रक्त के थक्कों को भी दूर कर  सकती हैं।

अन्य रोकथाम के टिप्स:

ये टिप्स आपके पीरियड्स के दौरान होने वाले ब्लड क्लॉट को रोकने में काफी मदद  प्रदान कर सकते हैं।

  • ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें जिनमें विटामिन K पाया जाता है क्योकि यह क्लॉटिंग को ओर अधिक बढ़ा देता है।
  • विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करें।
  • अधिक से अधिक पानी पिएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत डालें।

नोट: पीरियड्स के दौरान रक्त का थक्का बनना एक सामान्य घटना है। लेकिन अगर आपके पीरियड्स असामान्य रूप से भारी और दर्दनाक हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना सबसे अच्छा है।