एनीमिया और उसके विभिन्न प्रकार

by Dr. Himani Singh
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हमारे शरीर में पाई जाने वाली  लाल रक्त कोशिकाएं हमारे ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाने  का काम करती हैं। एनीमिया  होने पर हमारा  शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं को नहीं बना पाता है। जिसकी वहज से व्यक्ति  कमजोर,  थका हुआ और सांस  लेने में तकलीफ महसूस करता हैं। एनीमिया कई प्रकार का होता  है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया सबसे आम है। अन्य प्रकार के एनीमिया कम संख्या में लोगों को प्रभावित करते हैं।

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आइये जानते हैं विभिन्न  प्रकार के एनीमिया के बारे में  है :

  • आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (आईडीए):

आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया  दुनिया में सबसे आम है  जो कि  पोषण की कमी  से संबंधी विकार माना जाता  है। विकासशील देशों में बड़ी संख्या में बच्चों और महिलाओं को प्रभावित करता है। स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए शरीर को आयरन की आवश्यकता होती है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया आमतौर पर समय के साथ धीरे धीरे  विकसित होता है। आयरन की कमी शरीर में  रक्त की हानि के कारण, भोजन में पोषक तत्वों की कमी के कारण या फिर किसी  चिकित्सा स्थिति  कि  वजह से व्यक्ति का शरीर सही से आयरन  को अवशोषित  न कर पाने के कारण हो सकती है।

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  • अप्लास्टिक (या हाइपोप्लास्टिक) एनीमिया :

रक्त कोशिकाएं अस्थि मज्जा में स्टेम सेल  द्वारा बनती है। ऐप्लास्टिक एनीमिया में व्यक्ति  के  अस्थि मज्जा में स्टेम सेल्स  क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिसकी वजह से पर्याप्त नई रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं। अधिग्रहीत अप्लास्टिक एनीमिया सामान्य है, और कभी-कभी यह केवल अस्थायी होता है।

  • हेमोलिटिक एनीमिया:

हेमोलिटिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और रक्त प्रवाह द्वारा शरीर से बाहर उनके जीवनकाल सामान्य होने से पहले निकाल  दी जाती है। कई बीमारियों, स्थितियों और कारकों के कारण शरीर अपनी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है। हेमोलिटिक एनीमिया  में थकान, दर्द, दिल का बढ़ना और हृदय की विफलता जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

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  • थैलेसीमिया:

थैलेसीमिया आनुवंशिक  रक्त विकार हैं जो शरीर में  कम स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं और कम हीमोग्लोबिन  के बनने का कारण बनती हैं। थैलेसीमिया के दो प्रमुख प्रकार हैं- अल्फा और बीटा थैलेसीमिया। अल्फा थैलेसीमिया के सबसे गंभीर रूप को अल्फा थैलेसीमिया मेजर या हाइड्रोप्स भ्रूण के रूप में जाना जाता है, जबकि बीटा थैलेसीमिया के गंभीर रूप को थैलेसीमिया मेजर या कोलेलि के एनीमिया के रूप में जाना जाता है। थैलासीमिया पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है । आमतौर पर शुरूआती  बचपन में ही इसका  निदान किया जाता है जो कि आजीवन तक चल सकता हैं।

रिपोर्ट: डॉ.हिमानी