8 प्रकार के योग जो बदल देंगे आपका जीवन

by Darshana Bhawsar
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आज के समय में हर कोई इंसानियत चाहता है कि वह स्वस्थ्य और सुखी जीवन व्यतीत करे। योग शास्त्र के अनुसार लगभग 8400000 आसन है। लेकिन इतने सारे आसन करना और उन्हें याद रखना आसान नहीं होता। आसन का नियमित रूप से अभ्यास करना जरूरी होता है। इन आसन के अभ्यास से मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ होता है और कई बीमारियों का निजात भी इनके द्वारा संभव है।

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आज हम आपके बीच में लाए हैं 8 प्रकार के योग। यह 8 प्रकार के योग आपके जीवन को पूर्ण रूप से बदल कर रख देंगे। लेकिन आपको योग प्रैक्टिस करना आवश्यक होगा। चलिए जानते हैं आप आसनों के बारे में:

  1. स्वस्तिकासन:

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यह बहुत ही महत्वपूर्ण योग है इस योग को करने के लिए एक विधि होती है इस प्रकार है:

बाएँ  पैर के घुटनों को मोड़ लीजिए एवं उसको दायिनी जंघा और पिंडली के बीच स्थापित कर लीजिए। ऐसा ही दाहिने पैर के साथ करिए। अब ध्यान मुद्रा में बैठ जाइए और रीढ़ की हड्डी को सीधा कर लीजिए। इसके बाद अपनी साँस अंदर की तरफ लीजिए। थोड़ी देर साँस को अंदर रोक कर रखिये। इसके बाद वह साँस को बाहर छोड़ दीजिए। इस योग को कम से कम 10 मिनट तक करिए। 8 प्रकार के योग में से यह सबसे महत्वपूर्ण योग है।

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2. गोमुखासन:

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अपने दोनों हाथों का सामने की ओर फैला लीजिए। पैर को मोड़ लीजिये एवं एडी को दाएँ नितंब के पास रखिए। हाथ को गर्दन के पीछे ले जाइये एवं कमर के साइड से ले जाते हुए दोनों हाथों को एक दूसरे से पकड़िए। इसी अवस्था में कम से कम दो-तीन सेकेंड रहिये। अब अपनी अवस्था बदलते हुई दूसरे हाथ से ऐसा ही करिए। 8 प्रकार के योग में से इसका महत्वपूर्ण स्थान है साथ ही इसकी योग प्रैक्टिस बहुत आवश्यक है।

इस योग को करने से स्त्री रोग में फायदा मिलता है। गठिया को दूर करने में भी यह आसन बहुत सहायक है यकृत गुर्दे को भी इससे बल प्राप्त होता है।

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3. गोरक्षासन:

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दोनों पैरों की एड़ी एवं दोनों पैरों के पंजे को आपस में मिला लीजिए और अपने सामने रखें और इसी स्थिति में बैठ जाइए। अब दोनों घुटनों को भूमि पर टेक लीजिए। हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति बनाकर अपने दोनों घुटनों पर रखें। साँस को अंदर लीजिए और थोड़ी देर साँस को अंदर ही रोक कर रखिये। इसके बाद अपनी साँस को बाहर छोड़ दीजिए। इस आसन को कम से कम 10 मिनट करिए।

इस योग को करने से कई प्रकार से लाभ है जैसे रक्त संचार को नियंत्रित करता है, मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है एवं मांसपेशियां को मजबूत करता है।

4. अर्धमत्स्येंद्रासन:

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इस आसन को करने की विधि इस प्रकार है। दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाइए।  अब बाएँ  पैर को मोड़ लीजिए एवं उसकी एडी को नितंब के पास लगाइए। अब बाएँ पैर को दाएँ पैर के घुटने के पास लेकर आइए एवं उसको भूमि पर रखिए। अब बाएँ  हाथ को दाएँ घुटने के पास लेकर आइए एवं उसे सीधा रखते हुए दाएँ पैर के पंजे को पकड़ने का प्रयास कीजिए। अब इसी आसन को दूसरी ओर से करिए।

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8 योग के प्रकार में से इस आसन के कई अधिक फायदे हैं। इस आसन को कम से कम 10 से 20 मिनट की अवधि तक करिए। मधुमेह व कमर के दर्द
से निजात एवं पेट की समस्याओं को दूर करना, आंखों की रोशनी को बढ़ाना इत्यादि मैं इस आसन से लाभ प्राप्त होता है।

5. योगमुद्रासन:

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सबसे पहले जमीन पर पैरों को फैलाकर बैठ जायें। अब बाएँ पैर को उठाकर दाई जांघ पर इस प्रकार लगाइए कि बाएँ पैर की एड़ी आपकी नाभि के नीचे आए। दाएँ पैर को उठाइए एवं इस तरह बाएँ पैर की एड़ी की तरफ लाइए कि बाएँ पैर की एड़ी के साथ नाभि के नीचे से मिल जाए। अब दोनों हाथों को श्वास छोड़ते हुए इस प्रकार पीछे की तरफ लाइए कि बाएँ हाथ की कलाई को दाएँ हाथ से पकड़ने में आसानी हो। अब सामने की तरफ झुकते हुए अपनी नाक को भूमि से लगाने का प्रयास करिए। कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहिये। अब दूसरे हाथ से इस आसन को करिए। इस आसन को कम से कम 10 मिनट के लिए करें।

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इस आसन के कई प्रकार के लाभ हैं जैसे इस आसन को करने से चेहरा सुंदर होता है, स्वभाव विनम्र होता है एवं मन एकाग्र होता है।

6. शंखासन:

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शंखासन को उदाराकर्षण भी कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को घुटनों पर रखिए एवं अपने पंजों के बल उकडू बैठ जाइए। पैरों में लगभग 1 या सवा फुट का अंतर रखें। पंजों अंदर लीजिए एवं दाएँ घुटने को बाएँ पैर के पंजों के पास टीका कर रखिए। अब अपने बाएँ घुटने को दायीं तरफ झुकाइए। अब अपनी गर्दन को बाएँ तरफ से पीछे की ओर घुमाइए एवं पीछे की तरफ देखिए। इसी अवस्था में कुछ सेकेंड रहिये एवं अब दूसरी ओर से इसी आसन को करिए।

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इसकी योग प्रैक्टिस से ही यह आसन सही तरह से किया जा सकता है। इस आसन कई प्रकार से लाभदायक है। उदर रोग तथा कब्ज, गैस, अम्ल, पित्त, खट्टी डकार जैसी बीमारियों से निजात दिलाने में यह आसन उपयोगी है।

7. सर्वांगासन:

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इस आसन के दौरान आप सीधे लेट जाइए। अब अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर 90 अंश पर उठाइए। अपनी कुहनियों और हाथों की सहायता से शरीर के निचले हिस्से को ऊपर की तरफ ले जाइए तथा कंधों पर सीधा करके कंडों के बल पैर को ऊपर की ओर करके खड़े हो जाइए। कुछ देर इसी अवस्था में रहे फिर अपनी पूर्व अवस्था में वापस आ जाइए। इस आसन को कम से कम 10 मिनट तक करिए। इस आसन के कई फायदे हैं थायराइड ग्रंथि को नियंत्रित रखता है,  मोटापा दूर करता है,  थकान को दूर करता है एवं कई प्रकार के विकारों को भी दूर करता।

8. प्राणायाम:

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प्राणायाम भी योग का ही एक हिस्सा है। प्राण का शाब्दिक अर्थ होता है ऊर्जा यह जीवनी शक्ति वही आयाम का तात्पर्य है ऊर्जा को नियंत्रित करने वाला। प्राणायाम में साँस को एक स्वर से अंदर खींचते हुए थोड़ी देर श्वास को अंदर रोकना होता है एवं दूसरे स्वर से श्वास को बाहर छोड़ना होता है। स्वर बदलते हुए इसी प्रक्रिया को जारी रखना ही प्राणायाम है। प्राणायाम के कई फायदे होते हैं जैसे मस्तिष्क को शांत रखना,  एकाग्रता को बढ़ाना, से को नियंत्रित करना इत्यादि।

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