ध्यान से जुड़ी कुछ गलत अवधारणाएं

by Healthnews24seven Desk
misconceptions related to meditation

अधिकाशतः लोगो को लगता है ध्यान का अर्थ एकाग्रता है।  एकाग्रता केवल किसी एक जगह को ही फोकस करती है, लेकिन ध्यान उस बल्ब की तरह है जो चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है। हमारे मन में एक साथ असंख्य कल्पना और विचार चलते रहते हैं। इससे मन-मस्तिष्क में कोलाहल-सा बना रहता है। ना चाहने के बाद भी यह कोलाहल चलता ही  रहता है। जिसकी वजह से लगातार व्यक्ति लगातार  सोच-सोचकर स्वयं को  कमजोर कर लेता हैं। ध्यान अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में चले जाने की प्रकिर्या  है। ध्यान के अभ्यास से शरीर को लचीलापन मिलता है और कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। आजकल सारे लोग ध्यान  के महत्व को समझ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद कई लोगों के दिमाग में मेडिटेशन को लेकर कई प्रकार की गलतफहमी है जिसके कारण वो इसके लाभ को नहीं उठा पाते हैं।

इसे भी पढ़ें: मन को करना है शांत तो रोज करें ध्यान

आइये जानते हैं  हमारे समाज में फैली ध्यान से जुड़ी गलत धारणाओं  के बारे में जो  ध्यान को रहस्यमयी बना रही है:

ध्यान को कठिन मानना: हमने ये धारणा इसलिए मन में बना ली है क्यों की हमारी नजर में ध्यान मतलब गुफाओ, हिमालय में बैठे साधु संत की तरह  कठिन तप और ध्यान करना है। जबकि देख जाये तो  ध्यान हमारी  दिनचर्या का आसान  हिस्सा बन सकता है। ये आपके सांसो पर ध्यान लगाना या फिर एक मंत्र का ध्यान पूर्वक जाप करना भी हो सकता है।

ध्यान में अधिक समय लगना: कई लोगों को ऐसा लगता है कि ध्यान करने में बहुत समय लगता है और इस वजह से वो इसका अभ्यास नहीं करना चाहते। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है जरुरी नहीं की आप एक दो घंटे बैठ कर ही ध्यान करें,कुछ मिनट शांति से बैठ कर भी आप ध्यान का अभ्यास कर के लाभ उठा सकते हैं।

इसे भी पढ़ें: कारण जो मानसिक तनाव बढ़ा कर रोने पर मजबूर कर देते हैं

सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य का लाभ : कई लोगों को ऐसा लगता है कि ध्यान से सिर्फ मानसिक स्वास्थ से जुड़ा हुआ होता है लेकिन ऐसा नहीं है। मेडिटेशन से आप अनेक शारीरिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं जैसे की रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है. मांसपेशियों में जकड़न कम होती है, सिरदर्द एवं माइग्रेन में आराम दिलाता है। ध्यान से कई तरह के साध्य तथा असाध्य दोनों तरह से रोग ठीक होते हैं। यह व्याधियों से ही मुक्ति नहीं दिलाता वरन ‘जीवन मुक्ति’ का भी साधन है।

रिपोर्ट: डॉ.हिमानी