खाद्य पदार्थ जो मोतियाबिंद की रोकथाम के लिए आवश्यक होते हैं :

by Dr. Himani Singh
Catract eyes

यदि आपको पता चलता है कि आप  मोतियाबिंद से  ग्रषित हैं , तो आप अनेकों गंभीर  समस्याओं का अनुभव कर  सकते हैं जैसे कि साफ़ न देख पाना, किताबें न पढ़ पाना, ड्राइव न कर पाना, दोहरा दिखाई देना आदि। मोतियाबिंद बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है।  मोतियाबिंद के सामान्य कारणों में वृद्धावस्था, खराब जीवनशैली और पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हैं।

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अनेकों प्रकार के खाद्यपदार्थों का सेवन  मोतियाबिंद के इलाज में लाभकारी होता हैं ।

  • पोषक तत्व :कई अध्ययनों के अनुसार कुछ पोषक तत्व और पोषण संबंधी खुराक आपके मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में सहायक होते  हैं।
  • विटामिन ई : विटामिन ई से समृद्ध खाद्य पदार्थ मोतियाबिंद के गठन को कम करने के लिए जाने जाते हैं। गेहूं के बीज, शकरकंद, बादाम और पालक सभी विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थ हैं।
  • जस्ता :जस्ता एक अन्य महत्वपूर्ण खनिज है जो खराब  दृष्टि को रोकने के लिए  आवश्यक  होता है। केफिर, दही और कद्दू के बीज जस्ता के सभी समृद्ध स्रोत हैं।
  • ओमेगा-३ : ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ मोतियाबिंद के विकास और उनकी प्रगति के जोखिम को कम करते हैं। सालमन  और चिया बीज ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों के अच्छे उदाहरण हैं।
  • ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन: ये आवश्यक कैरोटीनॉयड हैं जो मोतियाबिंद को रोकने के लिए आवशयक होते हैं। ब्रोकोली, केल, पालक, कोलार्ड साग, शलजम साग और मकई, ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन से भरपूर खाद्य पदार्थों के अच्छे उदाहरण हैं।
  • अश्वगंधा: भारत के कई हिस्सों में, अश्वगंधा मोतियाबिंद सहित विभिन्न बीमारियों के इलाज और यहां तक कि खत्म करने के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट के कारण यह  लाभकारी होता है । अनुसंधान से पता चला है कि अश्वगंधा की जड़ के पाउडर का सेवन नियमित रूप से करने से  मोतियाबिंद की प्रगति धीमी हो सकती है और दीर्घकालिक रूप से दृष्टि में सुधार हो सकता है।
  • पपीता: इसमें मौजूद पैपेन की उच्च सांद्रता के कारण पपीते का मानव स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव पड़ता है। पैपेन  एक एंजाइम है जो प्रोटीन पाचन की प्रक्रिया को गति देने में मदद करता है। आपके लेंस पर वे धब्बे अधिक प्रोटीन से बने होते हैं, इसलिए अपने नियमित आहार में पपीता शामिल करने से मोतियाबिंद की घटना को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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रिपोर्ट: डॉ.हिमानी