स्लीप एप्निया की समस्या अधिकांशतः 40 साल से ऊपर के लोगों में पाई जाती है। लेकिन फिर भी स्लीप एप्निया को मापने का यह कोई पैमाना नहीं है, क्योंकि इसके मरीज हर उम्र के देखे जाते हैं। स्लीप एप्निया की समस्या अधिकांशतः 40 साल से ऊपर के लोगों में पाई जाती है। लेकिन फिर भी स्लीप एप्निया को मापने का यह कोई पैमाना नहीं है, क्योंकि इसके मरीज हर उम्र के देखे जाते हैं। स्लीप एप्निया एक ऐसी बिमारी है, जिसके बहुत से नकारात्मक प्रभाव हो सकते है अतः बीमारी का समय पर उपचार होना आवश्यक होता है।
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स्लीप एप्निया मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है :
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए)- इस बीमारी में हमारी सांस की नाली में रुकावट होनी शुरू हो जाती है। इसका कारण सोते समय गले के दो कोमल उत्तकों का आपस में टकराकर गिरना होता है।
सेंट्रल स्लीप एप्निया– इस बीमारी में साँस लेने के दौरान हवा नहीं रूकती है, लेकिन मस्तिष्क साँस लेने वाली मांसपेशियों को संकेत भेजने में असफल रहता है। यह समस्या श्वसन नियंत्रण केंद्र के स्थिर न होने के कारण होती
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कॉम्प्लेक्स स्लीप एप्निया सिंड्रोम– यह आकस्मिक केंद्रीय उपचार स्लीप एपनिया के रूप में जाना जाता है, यह बीमारी सेंट्रल स्लीप एप्निया और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया दोनों के ही मौजूद होने से होती है।
बीमारी का उपचार :
- अधिक वजन बढ़ना भी स्लीप एप्निया का कारण हो सकता है अतः अपने वजन को नियत्रित करके आप इस समस्या को कम कर सकते है।
- स्लीप एप्निया के उपचार के लिए डॉक्टर सबसे पहले सीपीएपी (CPAP) के प्रयोग की सलाह सबसे पहले देते हैं। यह एक तरह की साँस लेने की मशीन है, जिसे सोते समय प्रयोग किया जाता है। इससे नींद के दौरान सांस के बंद होनी की समस्या से राहत मिलती है।
- धूम्रपान तथा शराब की आदत छोड़ने से इस समस्या से बचा जा सकता है। क्योकि इन चीजों के प्रयोग से सांस लेने की मांशपेशियां तथा गले का पिछले हिस्सा शिथिल हो जाता है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है।
- रात को सोने से पहले सेलाइन नोजल स्प्रे के प्रयोग से नाक खुली रहती है जिससे सांस लेने में तकलीफ कम होती है।
रिपोर्ट: डॉ. हिमानी