इक्कीस सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन

by Darshana Bhawsar
Pregnancy

अब गर्भवती धीरे-धीरे उस दिन के बहुत करीब आ रही होती हैं, जब वे अपने नन्हे से शिशु को अपने हाथों में ले पाएंगी। 21वें सप्ताह में,  गर्भवती अपने गर्भ में पल रहे शिशु को और अधिक अच्छे से महसूस कर सकती हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को और भी कई अन्य लक्षणों का भी अहसास होने लगता है। यहाँ हम बात करने जा रहे हैं इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन के बारे में जिसमें कई चीज़ें आती हैं।

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इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन:

  • गर्भावस्था के इक्कीस सप्ताह में शिशु वृद्धि:

इस सप्ताह के दौरान  शिशु की स्वाद ग्रंथियाँ विकसित हो जाती हैं, इस दौरान गर्भ में पल रहा शिशु भोजन का स्वाद लेने में सक्षम हो जाता है। शिशु इस समय में ऐमिनियॉटिक द्रव निगलने की वजह से पोषण प्राप्त करने में सक्षम होता है। लेकिन गर्भवती जो भी भोजन करती हैं, गर्भ में विकसित हो रहा शिशु उस स्वाद का भी अनुभव कर सकता है। ऐसा माना जाता है  कि गर्भावस्था के दौरान माँ के द्वारा खाया गया भोजन ही बाद में शिशु को बहुत पसंद आता है क्योंकि कि गर्भवस्था में लिया गया स्वाद शिशु का भी स्वाद बन जाता है।

स्वाद के अतिरिक्त अगर बात की जाये तो इस दौरान शिशु के अंग आनुपातिक विकसित हो चुके होते हैं हैं, ये शिशु को हिलने-डुलने पर नियंत्रण करने में मदद करता है, इसे गर्भवती शिशु के किक या पुश करने पर अनुभव करती हैं। इस दौरान शिशु बहुत छोटा होता है, इसलिए गर्भवती को यह बताना संभव नहीं हो पाता शिशु के शरीर का  कौन सा अंग गर्भवती के पेट पर ज़ोर दे रहा है। इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में ये मुख्य परिवर्तन है।

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  • 21वें सप्ताह में शिशु का आकार:

इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में यह भी एक अहम् परिवर्तन है और इस दौरान शिशु का आकार लगभग 24-25 सेंटीमीटर तक होता है। अब शिशु गाजर के आकार जैसा प्रतीत होता है। शिशु का वज़न लगभग 450-500 ग्राम तक होता है।

  • इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था में सामान्य शारीरिक परिवर्तन:

इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था में सामान्य शारीरिक परिवर्तन आते हैं जैसे:

  1. वैरिकाज़ वेंस:

शिशु जैसे जैसे बड़ा होता है वैसे वैसे गर्भवती के पैरों की नसें दबाव महसूस करती हैं। यह भी इस परिवर्त्तन इस सप्ताह गर्भवती में देखने के लिए मिलता है।

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  • खिंचाव के निशान:

इस दौरान गर्भवती के पेट, जांघों, कूल्हों और नितंबों में विस्तार होता है और गर्भावस्था के इस विस्तार का खामियाज़ा भी गर्भवती को भुगतना पड़ता है। इस प्रकार के खिंचाव से शरीर में कई जगह लकीरें दिखाई देती हैं। अगर गर्भवती की त्वचा बहुत नाज़ुक है तो उतना ही अधिक गर्भवती को यह निशान होने की संभावना होती है। यह निशान शिशु के जन्म के बाद भी नहीं जाते हैं किन्तु पहले की अपेक्षा कम दिखाई देते हैं।

  • स्पायडर नस:

जैसे पेड़ की शाखाएं होती है उसी तरह रेडियल पैटर्न जैसी नसें पैरों, हाथों या चेहरे पर नज़र आती हैं। वैसे तो  ये निशान शिशु के जन्म के बाद आमतौर हलके हो जाते है या नष्ट भी हो जाते हैं।

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  • मुहांसे:

इस दौरान गर्भवती के शरीर में बढ़ने वाले हॉर्मोनल फ्लक्स गर्भवती की त्वचा में तेल का स्तर बढ़ने के कारण यह समस्या को उत्पन्न करते हैं, और इसी वजह से मुहांसे आने का खतरा रहता है। इस दौरान किसी दवा का प्रयोग न करें ये स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं।

  • गर्भावस्था के इक्कीस सप्ताह में आने वाले लक्षण:

इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में गर्भवती के द्वारा कई अनुभव किए जाते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन:

इस दौरान लेबर से पहले भी गर्भवती के शरीर में अनुभव किए जाने वाले कई संकुचन होते हैं। अगर गर्भवती को किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होती है, तो आप तुरंत डॉक्टर से बात करें।

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  • स्तनों में स्राव:

इस दौरान  स्तनों से दूध या पीले रंग के कोलोस्ट्रम का पदार्थ रिश्ता है, इस दौरान दूध नलिकाएं पूरी तरह से कार्य करना प्रारंभ कर देती हैं। इस दौरान कई प्रकार की समस्याएँ महिलाओं को होती हैं और कई बार उन्हें इसके लिए टिश्यू का उपयोग भी करना होता है।

  • त्वचा पर खारिश:

इस दौरान गर्भवती के पेट की त्वचा में खिंचाव महसूस होता है और त्वचा अधिक शुष्क भी हो जाती है। इस दौरान त्वचा में जकड़न भी महसूस हो सकती है। गर्भवती को इस दौरान मॉइस्चराइज़र का उपयोग करना चाहिए।

पैरों में ऐंठन:

गर्भवस्था के दौरान देखा जाने वाला यह एक सामान्य लक्षण है। इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में यह भी एक परिवर्तन है जहाँ गर्भवती के पैरों में ऐठन होती है।

गर्भावस्था के 21वें सप्ताह में गर्भवती का पेट:

21वें सप्ताह में शिशु पेट में इधर उधर घूमता है जिससे पूरे शरीर पर दबाव आता है सबसे ज्यादा दबाब पेट पर पड़ता है। बढ़ते हुए पेट के साथ  नाभि भी कुछ चपटी हो जाती है या ऐसा भी हो सकता है कि नाभि बाहर की तरफ निकलकर आ जाये।

इक्कीस सप्ताह की गर्भवस्था के दौरान आने वाले परिवर्तन में ये सभी बदलाब हो सकते हैं. गर्भवती और शिशु इस समय कई परेशानियों और परिवर्तनों से निकलते हैं।