तनाव क्या है और तनाव के लक्षण

by Darshana Bhawsar
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वैसे तो तनाव के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है लेकिन पहले के समय में लोगों के जीवन में तनाव कम होता था। जब से दुनिया आधुनिक हुई है तब से जीवन में तनाव बहुत ही अधिक बढ़ गया है। सबसे ज्यादा तनाव निजी कंपनियों में कार्यरत व्यक्तियों को होता है। क्योंकि उनके ऊपर काम का दबाब बहुत ही अधिक होता है और इसी काम के दबाब के कारण उनका निजी जीवन प्रभावित होने लगता है। यह प्रभाव जीवन के लिए बहुत ही नुकसानदायक सावित होता है।

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  • तनाव क्या है?:

हर कोई व्यक्ति कुछ न कुछ सोचता रहता है उसके दिमाग में कई प्रकार के विचार चलते रहते हैं। ये विचार कभी-कभी बहुत अधिक सोचने पर मजबूर कर देते हैं और चिंता में बदल जाते हैं। और कुछ विचार मन में आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन जो विचार दिमाग में घर कर जाते हैं वे बहुत ही खतरनाक साबित होते हैं एवं इनके कारण कई प्रकार की परेशनी होती हैं जिनमें से एक है तनाव। तनाव को आज के समय में एक बीमारी की तरह ही लिया जाता है। दिमाग में लगने वाली अंदरूनी एवं बाहरी दोनों ही चोट तनाव का कारण होती हैं।

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तनाव के कई कारण हो सकते हैं इन कारणों को समझना बहुत ही जरुरी होता है क्योंकि अगर इन कारणों से स्वयं को बचा लिया जाये तो तनाव से बचना भी संभव हो सकता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि तनाव के कारण क्या हो सकते हैं और उनसे दूर रहने का प्रयास करें।

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  • तनाव के कारण:

वैसे तो तनाव के भिन्न-भिन्न कारण होना संभव है लेकिन कुछ कारण ऐसे हैं जो ज्यातर देखे जाते हैं। अधिकतर महिलाओं को तनाव का शिकार देखा जाता है क्योंकि उनकी दिनचर्या कभी-कभी ऐसी होती है कि न तो वे किसी से बात करती हैं न किसी के साथ घुलती मिलती हैं वे सिर्फ घर के काम में ही व्यस्त रहती हैं। वैसे तनाव के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं:

  • किसी रोग के कारण:

कई बार व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी के कारण भी तनाव का शिकार हो जाता है। जब व्यक्ति किसी लम्बी बीमारी के चलते लम्बे समय तक बिस्तर पर ही रहता है और वो किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं होता। इस दौरान उसके दिमाग पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ने लगता है और व्यक्ति तनाव में आने लगता है।

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  • किसी परेशानी के बारे में अत्यधिक सोचना:

देखा जाये तो दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो किसी परेशानी में न हो। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति परेशानी में होता है और छोटी सी परेशानी को भी बहुत अधिक सोचता है जिसके कारण उसे तनाव होने लगता है। परेशानी कोई भी हो हल करना हमारे ही हाथ होता है उस परेशानी से लड़ने की क्षमता हमारे अंदर होना बहुत ही जरुरी है।

  • मन की बात बाहर न आ पाना:

मन की बात मन में रखना या उसको बोल देना यह व्यक्ति के व्यवहार के ऊपर निर्भर करता है। अगर व्यक्ति का व्यव्हार ऐसा है कि वह मन की बात नहीं बोलता और उसे मन में ही रखकर बहुत अधिक सोचता है। तो यह सोच खतरनाक रूप ले लेती है और कई बार यही सोच तनाव में परिवर्तित हो जाती है।

  • दोस्त न होना:

कुछ लोगों के कोई भी दोस्त नहीं होते जिसकी वजह से वे न तो कहीं आते जाते, न लोगों से मिलते जुलते, न किसी के साथ एन्जॉय करते। और अकेले रहते हैं इस वजह से कई बार लोग उन्हें रिज़र्व व्यव्हार वाला व्यक्ति समझ लेते हैं और उनसे ज्यादा बात नहीं करते। इसी वजह से वे किसी से बात नहीं कर पाते और सोचते रहते हैं। यही सोच कई बार तनाव में तब्दील हो जाती है।

  • तनाव के लक्षण:

अभी हमने देखा कि तनाव के कारण क्या-क्या हो सकते हैं। अब बात आती है कि तनाव के लक्षण क्या हैं और इन्हें कैसे भांप सकते हैं। यह जानना बहुत ही जरुरी है जिससे कि तनाव से बचाव किया जा सके।

  • नींद में कमी आना:

कई बार अत्यधिक सोच विचार के कारण नींद नहीं आती, लेकिन अगर ऐसा रोजाना होने लगे और आप किसी न किसी बात को लेकर रोज परेशान होने लगो, तो इसका मतलब है कि हो सकता है आप तनाव में हो। कभी-कभी हम नींद न आने को सामान्य लक्षण मान कर नज़रअंदाज कर देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। तनाव की वजह से भी नींद में अचानक कमी आने लगती है।

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  • छोटी-छोटी बात पर घबराहट होना:

अगर आपको छोटी-छोटी बात या परेशानी को सोचकर घबराहट होने लगे और आप उसी बारे में हमेशा सोचते रहो इसका मतलब है कि आप तनाव का शिकार हो रहे हो। इसे दूर करना बहुत ही जरुरी है अगर इस परेशानी को दूर नहीं किया जायेगा तो यह छोटी सी घबराहट कई अन्य बिमारियों की वजह भी बन सकती है।

  • अत्यधिक गुस्सा:

गुस्सा आना, खुश रहना, हँसना ये सभी एक मनुष्य का स्वभाव है। लेकिन अगर यही गुस्सा बात-बात पर आने लगे और व्यक्ति हर बात पर चिडचिडा होने लगे इसका मतलब है कि व्यक्ति आंतरिक रूप से किसी परेशानी में है जिसे वह जाहिर नहीं कर पा रहा है। यह क्रोध तनाव के कारण भी होता है।

हिंसक व्यवहार करना:

कई बार व्यक्ति कुछ कारणों से इतना परेशान हो जाता है कि वह न चाहते हुए भी हिंसक बन जाता है। और यही वजह होती है कि कभी-कभी व्यक्ति पागल भी हो जाता है उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। यह भी तनाव का एक बहुत ही बड़ा लक्षण होता है। जिसे आमतौर पर व्यक्ति नज़रअंदाज कर देता है।

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तनाव के और भी कई लक्षण हैं जैसे अचानक खुश हो जाना और अचानक गुस्सा हो जाना, भूख कम लगना, शराब की आदत, हृदय गति का अचानक बढ़ जाना, भावात्मक सोच में डूबे रहना इत्यादि। जब कोई भी व्यक्ति तनाव में होता है उसमें ये सभी लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही उसमें कई बदलाव आ जाते हैं जो व्यक्ति को पागल भी बना देते हैं। इसलिए इसका उपचार भी जल्दी ही करना जरुरी है नहीं तो व्यक्ति को कई बिमारियों का सामना करना पड़ सकता है।