गर्भावस्था के नौ महीने पुरे होने से पहले यदि शिशु का जन्म हो तो देखा गया है कि ऐसे शिशुओं में आगे चलकर कई प्रकार की शारीरक और मानशिक परेशानियां उत्पन्न हो जाती है। जैसा की हम सभी जानते है की गर्भावस्था की समान्य अवधि 9 महीने 7 दिन या 37 से 40 सप्ताह के बीच का होता है। ऐसे में यदि शिशु इस अवधि से पहले जन्म लेता है तो उसे प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। सामान्यत: आपकी गर्भावस्था इस अवधि के बाद जितना समय और चलती है, आपके शिशु के स्वस्थ होने की उम्मीद उतनी ही अधिक होती है क्योंकि शिशु के अंग और अधिक परिपक्व होते हैं। वही दूसरी ओर समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को अनेकों प्रकार की समस्यों से जूझना पड़ता है।
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आइये जानते है प्रीमैच्योर बेबी को किस प्रकार की समस्यों का सामना करना पड़ता है :
- समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु चीजों को पहचानने, निर्णय लेने तथा ध्यान केंद्रित करने जैसी परेशानियों से गुजर सकते हैं।
- यदि शिशु 35 सप्ताह में पैदा हुआ है तो हो सकता है कि वह थोड़ा छोटा हो और उसे सांस लेने में कुछ मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
- समय से पहले जन्में बच्चे अपरिपक्त होते है। इन बच्चों का वजन भी सामान्य शिशु की तुलना में कम होता है। ऐसे शिशु को सामन्य शिशु की अपेक्षा विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
- यदि शिशु का वजन 1500 ग्राम से कम होता है तो शिशु को इक्यूबेटर में रखा जाता है। जहां शिशु को गर्भ जैसा वातावरण दिया जाता है। इस परिस्थिति में शिशु को कई प्रकार की समस्या हो सकती है। जैसे कि शरीर का ताप कम होना, ऐसे में कमरे का तापमान (37 डिग्री) बनाये रखना आवशयक हो जाता है।
- समय पूर्व जन्मे शिशु में प्रोटिन की अधिक आवश्यकता होती है। जो मां के दूध में सर्वोत्तम रूप में उपस्थित होता है अतः माँ को ऐसे शिशु को अधिक से अधिक स्तनपान करना चाहिए।
- समय पूर्व जन्मे शिशु में श्वसन संबंधी समस्याएं ,मस्तिष्क में रक्तस्राव, हर्दय से संबधित जटिलताएं और रक्त में शर्करा की कमी जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
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रिपोर्ट: डॉ.हिमानी