चोकर युक्त आटे में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के फायदे जानकर रह जायेंगे दंग

by Mahima
brinjal flour

गेहूं के छिलके को हम चोकर कहते है। जब हम आटा छानते है तो जो छननी मे बचता है वही चोकर होता है इसे लोग कचरे मे फेक देते है। चोकर में लौह, विटामिन बी आदि तत्व पाये जाते है जो की आपके शरीर में रक्त की मात्रा को बढ़ाते है और आपकी हड्डियों को भी मजबूत बनाने में सहायक होते है। अक्सर हमारे घरों में आटे के चोकर को बेकार समझकर फेंक दिया जाता है। बाजार में बिकने वाला आटा भी बहुत महीन होता है।  माना कि ऐसे आटे से बनी रोटियां मुलायम होती हैं लेकिन ये कितनी हानिकारक  हो सकती हैं इसका अंदाजा बहुत कम लोगों को होता है। गेंहूं की बात करें तो इसके चोकर में बहुत सारे लवण और विटामिन होते है।

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चोकरयुक्त आटे से तैयार रोटी खाने के फायदे :

  • चोकर युक्त आटे से बना खाना खाने से पेट अच्छे से भर जाता है जिसके कारण से आपको बार बार खाना खाने की जरुरत नहीं रहती है। इसलिए यदि आप अपना वजन कम कर रहें हो तो चोकर युक्त आटा ही खाये।
  • चोकरयुक्त आटे में एक ख़ास किस्म का सोलुबिल फाइबर पाया जाता है जो कि गालस्टोन कि समस्या को दूर करता है। यह सोलुबिल फाइबर गालस्टोन को घोल देता है जिससे कि गालस्टोन से आसानी से छुटकारा मिल जाता है।
  • चोकर युक्‍त आटे में बहुत अधिक फाइबर पाया जाता है, जो कि पेट में कब्‍ज नहीं होने देता। इसके सेवन से आसानी से आंतों के द्वारा मल शरीर से बाहर निकल जाता है।
  • यह देखने में खुरदरा है, परंतु चबाते समय मुहं की लार से मुलायम हो जाता है। चूंकि यह मुंह की लार को काफी मात्रा में समेट लेता है, अत: भोजन के पचने में सहायता करता है।
  • चोकर को थोड़ा सा भून ले । इसमे खजूर, गुड़, किसमिस, मुनक्का मिला कर कूट ले। इसके लड्डू बना ले। रोज इसका सेवन करने से आपका पेट साफ रहेगा और आप पेट की बीमारियों से बचे रहोग ।
  • रात को 40 – 50 ग्राम चोकर पानी मे भिगो दे। सुबह इसे मसल कर छान ले और इसमे शहद डाल कर पी जाये। अगर शहद पसंद न हो तो गुड़ या मिश्री भी डाल सकते हो। इससे रक्त की कमी दूर होगी और हड्डिया मजबूत होंगी।
  • चोकर से युक्त रोटियां खाने से पेट पूरी तरह से भर जाता है, इसके खाने के बाद बार बार कुछ और खाने की जरुरत नहीं पड़ती। अतः चोकर युक्‍त रोटियों के सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • शोधकर्ताओं द्वारा भूसी को अब तक का सर्वाधिक बर्बाद किया गया प्राकृतिक उत्पाद करार दिया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार प्रति वर्ष लगभग छह करोड़ टन भूसी फेंक दी जाती है। हालांकि कुछ कंपनियां इससे बने कुछ खाद्य उत्पादों को गेहूं और ओट्स के विकल्प के तौर पर बेच रही हैं। शोध लेखक प्रोफेसर एलिजाबेथ रयान के अनुसार भूसी की एक कटोरी में एक व्यक्ति की दैनिक आवश्यकता के बराबर पौष्टिक तत्व उपस्थित होते हैं। साथ ही यह फाइबर का बेहतरीन स्रोत भी है।

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रिपोर्ट: डॉ.हिमानी