क्या कोरोना होने पर टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में एक ही तरह का खतरा है?

by Naina Chauhan
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जब से दुनिया को कोरोना वायरस यानी कोविड-19 का पता चला है, उसी वक्त से पूरे दुनियाभर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य शोधकर्ता अपनी पूरी जी जान से इस वायरस के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी जुटाने में लगे हैं। हालांकि, इसके बारे में नई जानकारी हर दिन आती है, लेकिन इसका इलाज या वैक्सीन अब भी नहीं बन पाई है।  

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इस समय हर कोई जानना चाहता है कि ये वायरस कैसे फैलता है, क्या ये कुछ तरह के लोगों को ही प्रभावित करता है और इसका इलाज कैसे किया जाना चाहिए, वैज्ञानिक इन सभी सवालों के जवाब ढूंढ़ने में लगे हैं।

लेकिन समय के साथ कोरोना वायरस के बारे में काफी सारी जानकारी सामने आ रही है, हालांकि, इसके बावजूद कई सवालों के जवाब आज भी नहीं मिले हैं। जैसे पहले से गंभरी बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए ये वायरस जानलेवा साबित हो सकता है, खासकर मधुमेह के मरीज़ों के लिए। क्या टाइप-1 और टाइप-2 दोनों तरह के डायबिटिक लोगों के लिए ख़तरा ज़्यादा है?   

कैसे डायबिटीज़ के मरीज़ों को कोविड-19 प्रभावित करता है? 

कोविड-19 पूरी दुनिया के लिए एक नई बीमारी है, और अभी तक इसके बारे में कई चीज़ें भी नहीं मालूम हैं। अभी तक ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है, जिससे ये कहा जा सके कि डायबिटीज़ के मरीज़ के लिए ये वायरस घातक साबित हो सकता है। इसके बावजूद, डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जो ब्ल्ड शुगर स्तर को बढ़ाती है, जिसकी वजह से इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है, और इस तरह शरीर के संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

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डायबिटीज़ के मरीज़ों का कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा उतना ही ज़्यादा है जितना बाकी लोगों का, हालांकि, अगर डायबिटीज़ का कोई मरीज़ कोरोना वायरस पॉज़ीटिव पाया जाता है, तो उसकी स्थिति गंभीर हो सकती है। 

क्या टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में एक ही तरह के जोखिम है?

आपको बता दें कि टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ में काफी अंतर है। टाइप-1 डायबिटीज़ में इंसुलिन की बेहद कमी होती है। बिना इंसुलिन के खून में मौजूद ग्लूकोज़ का स्तर काफी बढ़ सकता है, इसलिए ऐसे लोगों को ज़िंदगी भर के लिए इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है। वहीं, टीइप-2 डायबिटीज़ में शरीर में इंसुलिन तो मौजूद होता है, लेकिन वह सही तरीके से काम नहीं करता। इसलिए इन दोनों तरह की डायबिटीज़ का इलाज भी काफी अलग होता है। अभी तक ऐसी कोई स्टडी सामने नहीं आई है, जिससे ये कहा जा सके कि कोरोना वायरस दोनों तरह की डायबिटीज़ में अलग तरह से प्रभावित करता है।

टाइप-1 डायबिटीज़ में इंसुलिन की कमी होती है, इसलिए किडनी के फेल होने और आंखों को ख़तरा पहुंच सकता है, जबकि टाइप-2 में कॉम्प्लीकेशन की उम्मीद कम है।

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क्या डायबिटिक मरीज़ में कोरोना वायरस के अलग लक्षण दिखते हैं?

ऐसा नहीं है, कोरोना वायरस के लक्षण और प्रभाव सभी में एक जैसे होते हैं फिर जाहें वो डायबिटीज़ के मरीज़ ही क्यों न हो। हालांकि, डायबिटीज़ के एक मरीज़ की किसी भी इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है, इसलिए इसका नतीजा काफी गंभीर हो सकता है।