जेनिटल हर्पीस से राहत पाने के घरेलु उपाय

by Dr. Himani Singh
जेनिटल हर्पीस

हरपीज सिम्पलेक्स एक प्रकार का वायरस ह और यह हम सभी जानते है कि एक बार वायरस से ग्रषित होने पर इसके प्रकोप से बच पाना मुश्किल होता है उसी प्रकार हरपीज सिंप्लेक्स वायरस  (HSV ) HSV-1 और  HSV-2 के प्रकोप से बचने का भी  अभी तक कोई लाभकारी उपाय सामने  नहीं आया है। HSV-1 मुंह के चारों ओर होने वाले ठन्डे घावों और  HSV-2  जननांगों  पर होने वाले घावों  का कारण बनता है। परन्तु  ऐसे बहुत से उपाय हैं जिनको अपनाकर इन वायरस के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

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हम आपको इस आर्टिकिल्स द्वारा  HSV-2  वायरस,  जो जननांगों  पर होने वाले घावों  का कारण बनता है उससे बचने के कुछ उपाए बताएंगे :

1.यदि आप जननांग दाद से ग्रसित  है तो ऐसे में  प्रभावित क्षेत्र को थोड़े देर गर्म पानी में भिगोने की या गर्म पानी से साफ़ करने की सलाह  दी जाती है। लेकिन याद रखें धोने के बाद प्रभावित  क्षेत्र को तुरंत पूरी तरह  सूखा  लेना चाहिए। अगर तौलिये से सुखाना असुविधाजनक हो, तो हेयर ड्रायर का उपयोग  भी किया जा सकता है।

2. जैसा कि हम जानते है, संक्रमित क्षेत्रों को सूखा रखना जननांग दाद की चिकित्सा में मदद प्रदान करता है। ऐसे में बेकिंग सोडा का उपयोग जननांग पर होने वाले घावों को सुखाने के लिए लाभकारी साबित होता है। के इस पाउडर के प्रयोग से घावों को सूखने और खुजली को कम करने में मदद में मदद मिलती है आप पाउडर को रुई के फाहे पर लेकर घावों पर इस्तेमाल कर सकते हैं।  सूती अंडरवियर  का प्रयोग भी इस अवस्था में लाभकारी होता है।

जेनिटल हर्पीस

3. जननांग दाद के प्रकोप से जुड़े दर्द और खुजली को दूर करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है प्रकृति तरीका कोल्ड कंप्रेस का उपयोग या बर्फ की सिकाई है। प्रभावित क्षेत्र पर बर्फ से भरा आइस पैक या साफ, मुलायम रुमाल का प्रयोग  5 से 10 मिनट तक करें।  यह प्रकिरिया हर चार घंटे में 10 मिनट के लिए दोहरा सकते हैं। प्रतेक बार दूसरे साफ़ रुमाल या आइस पैक का प्रयोग  करें। बहुत लंबे समय तक बर्फ का प्रयोग न करें क्योकि लंबे समय तक त्वचा के संपर्क में रहने से ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, क्योकि जननांग क्षेत्र विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं।

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4. मकई स्टार्च पेस्ट घावों को सुखाने और खुजली से राहत प्रदान करता है। थोड़ी सी गीली रुई को कॉर्नस्टार्च की थोड़ी सी मात्रा में डुबोएं, और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं, लाभ प्राप्त होगा।

5. चायपत्ती में टैनिक एसिड होता है, जिसमें एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। अतः टी बैग को लगभग एक घंटे तक गर्म पानी में डुबो कर रखें फिर इस टी बैग को ठंडा होने दें। आप फिर  इस  टी बैग को हलके गुनगुने पानी में डालें और सीधे संक्रमित घावों पर कई मिनट के लिए लगाएं और फिर उस क्षेत्र को पूरी तरह सूखा लें।