बुखार के कारण और बुखार से छुटकारा पाने के घरेलु उपाय

by Darshana Bhawsar
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बुखार वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्य तापमान से कई गुना अधिक हो जाता है। अंग्रेजी में इसे फीवर भी कहा जाता है। बुखार के कई कारण होते हैं। संक्रमण के कारण भी बुखार का होना संभव है। कई प्रकार के बुखार व्यक्ति को घेर सकते हैं जिनका इलाज करवाना आवश्यक है। इसके लिए खून की जाँच करवाना भी जरुरी होता है जिससे बुखार की पहचान की जा सके। बुखार आज के समय की सबसे आम स्वास्थ्य समस्या है। बुखार शरीर की प्रतिरक्षा प्रक्रिया है जो माइक्रोब संक्रमण से जुड़ी है। कभी-कभी बुखार की समस्या महामारी इन कारणों से होती है जैसे मलेरिया, फ्लू या डेंगू आदि। बुखार को मापने के लिए, एक मिनट के लिए मुँह में थर्मामीटर रखें। थर्मामीटर बुखार को मापने का एक उपकरण है।

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जब भी मौसम बदलता है, ज्यादातर खांसी-जुकाम के साथ बुखार की शिकायत सामने आने लगती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साधारण दिखने वाला बुखार भी खतरनाक हो सकता है। कई प्रकार के बुखार होते हैं एवं सभी बुखार के लक्षण, कारण और इलाज सभी कुछ अलग-अलग होते हैं। इसलिए आज हम जानेंगे कि बुखार क्या है, बुखार के प्रकार, बुखार के कारण, लक्षण और इलाज।

  • बुखार क्या है?:

बुखार आमतौर पर शरीर के सामान्य तापमान से अधिक होता है। जब शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है उसे बुखार कहा जाता है। चिकित्सा विज्ञान में हमारे शरीर को बुखार जैसे संक्रमण से बचाने के कई तरीके है। बुखार को संक्रमण से होने वाली बीमारी माना जाता है। क्योंकि जब व्यक्ति के शरीर में संक्रमण या बुरे बैक्टीरिया का प्रभाव होता है तभी बुखार जैसी समस्या उत्पन्न होती है। इसके कारण शरीर में मौजूद सफ़ेद रक्त कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं। और इसके ही कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है और शरीर कांपने लगता है।

  • बुखार के प्रकार:

बुखार के कई प्रकार होते हैं एवं इन प्रकार को जानना समझना बहुत ही जरुरी होता है।

  • मलेरिया
  • टाइफाइड
  • वायरल
  • चिकन गुनिया
  • डेंगू
  • दिमागी बुखार
  • कमजोरी से होने वाला बुखार
  • बारिश में भीगने के कारण होने वाला बुखार
  • बुखार के कारण:

बुखार के अनेक कारण हो सकते हैं। इन कारणों को जाने समझे और स्वयं की देखभाल करें।

  • बारिश में भीगने के कारण
  • टीकाकरण की वजह से
  • मच्छर के काटने से
  • थकान की वजह से होने वाला बुखार

इनमें से बुखार का कोई भी कारण हो सकता है।

  • बुखार के लक्षण:

बुखार के कई लक्षण है एवं अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो आप खून की जाँच जरूर करवाएं। इससे आपको बुखार का प्रकार पता चलेगा जिससे आपको उपचार में आसानी होगी।

  • सर्दी लगकर बुखार आना।
  • सर्दी, खांसी और बुखार।
  • सिर में दर्द।
  • थकान होना और शरीर टूटना।
  • भूख कम लगना।
  • शरीर में अत्यधिक पसीना आना।
  • मुँह का स्वाद कड़वा हो जाना।
  • गले में दर्द होना।
  • उलटी, दस्त।

ये सभी लक्षण अगर आपको दिखाई देते हैं तो आप बिना देर किये डॉक्टर को जरूर दिखाएं और खून की जाँच जरूर करवाएं। ये स्थिति कभी-कभी गंभीर रूप भी ले लेती हैं। इसलिए इनका इलाज करना बहुत ही जरुरी है।

  • बुखार के उपचार:

बुखार को सबसे पहले उपकरण से माप लेना चाहिए अगर आपके शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर होता है इसका मतलब की आपको बुखार है। लेकिन यह आसानी से कम हो सकता है लेकिन अगर यह तापमान 101 डिग्री फ़ारेनहाइट पार कर ले या यहाँ तक पहुँच जाये तब चिंताजनक स्थिति होती है। इस स्थिति में आपको डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए। बुखार के कुछ घरेलु उपचार भी हैं। लेकिन इसके बाद भी आप खून की जाँच जरूर करवाएं और किसी डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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कुछ ऐसे घरेलू उपचार हैं जिन्हें अपनाकर आप बुखार से छुटकारा पा सकते हैं। जैसे पानी या जूस जैसे तरल पदार्थ पीने से आप इससे बच सकते हैं साथ ही आपको पर्याप्त आराम करने की आवश्यकता होगी। अपने माथे पर गीले और ठंडे कपड़े रखने रखें, इससे तापमान कम करने में मदद मिलती है। यदि आपकी स्थिति घर की देखभाल में सुधार नहीं करती है, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

  • पानी अधिक पीना:

अधिक पानी पीने से शरीर के सभी टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। पानी पीना शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है। जब आपको लगे कि आपके शरीर का तापमान अधिक हो रहा है आप अधिक पानी पीना शुरू कर दें। इससे आपके शरीर का तापमान कम हो जायेगा और साथ ही आप पर्याप्त रूप से आराम करें। क्योंकि बुखार में आराम की बहुत ही आवश्यकता होती है।

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  • माथे पर ठन्डे पानी की पट्टी:

यह दादी नानी के घरेलु नुस्खों में से एक है। जब बुखार बहुत तेज़ हो तो आप ठन्डे पानी की पट्टी माथे पर रखें। इससे बुखार कम होने में सहायता मिलेगी। इससे शरीर का तापमान सामन्य किया जा सकता है। लेकिन अगर इससे भी शरीर का तापमान कम नहीं हो रहा है तो आपको चिकित्सक को दिखाने की जरुरत होती है।

  • मुन्नका:

मुन्नका को दूध में मिलाकर पीने से या फिर काळा नमक के साथ हल्का गरम करके खाने से बुखार में राहत मिलती है। इससे लाल रक्त कणों की संख्या भी शरीर में बढ़ती है। इसलिए मुन्नका का सेवन ब खार में किया जाता है। इसे भी आयुर्वेद में विशेष स्थान प्प्राप्त है। अगर आपको बुखार नहीं भी है तो भी आप मुन्नका रोजाना खा सकते हैं।

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  • अदरक, हल्दी और तुलसी का काढ़ा:

अदरक, हल्दी और तुलसी तीनों ही चीज़ें शरीर में उत्पन्न हो रहे विकारों को दूर करती हैं। सर्दी, खांसी और बुखार की स्थिति में अगर इस काढ़े को पिया जाये तो उसका काफी फायदा होता है। इसलिए आप इन तीनों को मिलकर इनका आधा बनाएं। इसके कोई दुष्पपरिणाम नहीं हैं। इसका प्रयोग करके देखें।

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