बच्चों में पनप रहे तनाव को रोकना है जरुरी

by Darshana Bhawsar
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तनाव एक ऐसी स्थिति है जो किसी को भी अपना शिकार बना सकती है बच्चे, युवा या फिर बूढ़े। लेकिन ये सोचने वाली बात है कि बच्चों की उम्र तो खेलने कूदने की होती है वे तनाव का शिकार कैसे हो सकते हैं। सच बात तो ये कि बदलते हुए समय के साथ और पढाई के अत्यधिक बोझ के कारण बच्चे भी तनाव का शिकार होते जा रहे हैं। बच्चों में तनाव को रोकना बहुत ही जरुरी है क्योंकि अगर बच्चों में तनाव को नहीं रोका गया तो यह बड़ा रूप ले सकता है और एक बच्चे का पूरा भविष्य ख़राब हो सकता है। इसके परिणाम बहुत ही खतरनाक है।

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बच्चों में तनाव के कई कारण है और इन कारणों को माता पिता को समझना बहुत ही जरुरी है क्योंकि अगर माता पिता ही बच्चों की दुविधा नहीं समझेंगे तो वे बच्चों को इस परेशानी से कैसे बाहर निकाल पाएंगे। अब हम जानेंगे कि बच्चों में तनाव के क्या कारण है।

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  • बच्चों में तनाव के कारण:
  • पढाई का अत्यधिक बोझ:

आजकल बच्चों में पढाई का बोझ बढ़ता जा रहा है क्योंकि आजकल के बच्चे बहुत ही चतुर हैं। आज के समय में प्रतिस्पर्धा बहुत ही अधिक बढ़ती जा रही है। और इसी के चलते बच्चों में ये होड़ लगी रहती है कि कोई उनसे आगे न निकल जाये। कभी तो बच्चे स्वयं ही खुद को इस प्रतिस्पर्धा का हिस्सा समझ लेते हैं तो कभी माता पिता उन्हें इस प्रतिसपर्धा का हिस्सा बना देते हैं। तो दोनों ही प्रकार से बोझ बच्चों पर ही आ जाता है। कभी-कभी बच्चा इस बोझ को उठाने के लिए सक्षम नहीं होता और उसे तनाव होने लगता है।

  • अकेलापन:

कभी-कभी बच्चों में अन्य बच्चों के साथ घुलने मिलने की आदत कम होती है। और इसी कारण बच्चा किसी के साथ न खेलता न किसी से बात करता और कुछ दिनों बाद अपने इसी प्रकार के व्यवहार के कारण बच्चा अकेला महसूस करने लगता है। यही अकेलापन उन्हें तनाव के करीब ले जाता है। जिसे दूर करना बहुत ही जरुरी होता है।

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  • डर:

बच्चों में अत्यधिक डर होना भी तनाव का कारण होता है। कई बार टीचर या माता पिता ही बच्चों को डरा कर रखते हैं। इस डर के कारण बच्चों का आत्मविश्वास खत्म होने लगता है और बच्चे तनाव का शिकार होने लगते हैं। वे डर की वजह से किसी से भी अपने मन की बात नहीं  कह पाते और कई बार वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

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ये सभी बच्चों में तनाव के कारण होते हैं और भी कई कारण होते हैं जैसे ईर्ष्या या फिर आत्मविश्वास में कमी इत्यादि। इन सभी को अगर समय रहते दूर किया जाये तो बच्चों में तनाव नहीं पनपेगा। कभी भी बच्चों को और उनकी अभिलाषाओं को नहीं रोकना चाहिए। अगर बार-बार बच्चों की अभिलाषाओं पर रोक लगायी जाती है तो उनके मन में नकारात्मक भाव पैदा होने लगते हैं। इसलिए बच्चों में तनाव को रोकना बहुत ही जरुरी होता है। लेकिन इसके पहले बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण को समझना बहुत ही जरुरी है।

  • भूख में कमी या अत्यधिक भूख लगना।
  • बिना वजह दुखी होना या खुश हो जाना।
  • खेलने में कमी और एक जगह चुपचाप बैठे रहना।
  • दोस्तों के साथ न खेलना।
  • स्कूल जाने में कतराना।
  • आत्महत्या जैसे ख्याल आना या इसकी कोशिश करना।
  • अत्यधिक चिड़चिड़ापन।

अगर इनमें से कोई भी लक्षण आपको अपने बच्चे में दिखाई देते हैं तो आप इसे लापरवाही से न लें इसके प्रति सतर्क रहें और अपने बच्चे को समझें क्योंकि हो सकता है वह तनाव में हो।

  • बच्चों में तनाव को रोकने के लिए उपाय:

अगर आप बच्चों  में तनाव को रोकना चाहते हैं तो इसके लिए आप बच्चों को खुश रखें और उनको इतनी स्वतंत्रता दें कि वे अपनी बात आपसे शेयर करने में डरे नहीं।

  • बच्चों को दें स्वतंत्रता:

बच्चों को आज के समय में स्वतंत्रता देना बहुत ही जरुरी है। आप जितना उन्हें बांधने की कोशिश करेंगे बच्चे आपसे छुप कर वही कम करेंगे। बच्चों को बहुत ज्यादा स्वतंत्रता भी नहीं देना है जिससे वह बिगड़ जाये और इतना डरा कर भी नहीं रखना है कि आपका बच्चा तनाव का शिकार हो जायें।

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  • बच्चों को प्राणायाम करवायें:

कुछ ऐसी चीज़ें होती है जो आप बच्चों को बचपन से ही सिखाना शुरू कर दें तो उनके लिए अच्छा होता है जैसे प्राणायाम और योग। इसके लिए माता पिता को ही बच्चों के मन में इसे सीखने की उत्सुकता जगानी होगी। प्राणायाम से बच्चे को किसी भी तरह का तनाव प्रभावित नहीं करेगा जो उसके लिए जीवनभर सहायक होगा।

  • आहार पर दें विशेष ध्यान:

आहार शरीर के लिए बहुत ही जरुरी होता है अगर आप अपने बच्चे को पूर्ण आहार देंगे और उसकी पसंद का खाना उसे खिलाएंगे तो वह खुश रहेगा। तनाव को दूर करने के लिए या इससे बचने के लिए खुश रहना बहुत ही जरुरी है। इसलिए बच्चे के आहार पर हमेशा ध्यान दें और उन्हें पोषक आहार दें।

  • बच्चों पर पढाई का बहुत ज्यादा बोझ न डालें:

हर व्यक्ति की क्षमताएं अलग-अलग होती हैं। इसलिए अगर आपका बच्चा पढाई में बहुत ज्यादा रूचि नहीं ले रहा है या उसका दिमाग पढाई बहुत अधिक करने में सक्षम नहीं है तो उस पर जबरदस्ती बोझ न डालें। बस उसको समझाएँ कि वह उतनी पढाई कर लें जो उसके लिए जरुरी है। अत्यधिक पढाई का बोझ भी बच्चे को तनाव के पास ले जा सकता है। जो उसके लिए हानिकारक है।

  • बेवजह बच्चे पर गुस्सा न करें:

कभी-कभी माता पिता बच्चे पर छोटी-छोटी बातों को लेकर गुस्सा करते हैं। कई बार ये बेवजह का गुस्सा बच्चों को डर का शिकार बना देता है। और बच्चा अपने माता पिता से कभी अपने दिल की बात नहीं कह पाता। अपनी बात को बछा अपने मन में ही रखता है। इसलिए अपने बच्चे को बिना वजह अपने गुस्से का शिकार न बनाएं।

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इन सभी उपाय से आप अपने बच्चे को तनाव से दूर कर सकते हैं। क्योंकि तनाव बच्चों को आज के समय में बहुत अधिक प्रभावित कर रहा है इसलिए उनका ध्यान रखना बहुत जरुरी है।