आयुर्वेद दिवस है महान दिवस

by Darshana Bhawsar
आयुर्वेद दिवस

आयुर्वेद दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। आयुर्वेद दिवस धनतेरस के दिन मनाया जाता है। धन्वन्तरी आयुर्वेद के गुरू हैं प्राचीन काल से इनकी पूजा-अर्चना का चलन दीपाली पर्व के साथ मनाने का है। वास्तव में यही आयुर्वेद के दिवस के रुप में एक दिन है। जिसे रास्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।
आयुर्वेद ईश्वर प्रदत्त बाणी से उदित चिकित्सा शास्त्र है जो वेदों से निकला है। इसकी जानकारी आचार्यो को सर्वप्रथम ज्ञान गुरु परम्परा से ही प्राप्त हुई। आयुर्वेद की उपयोगिता मनुष्य के जीवन में बहुत है क्योंकि आयुर्वेद ने मनुष्य को प्राचीन काल से लेकर आज तक सुरक्षा प्रदान की है एवं निरोगी रहने में
सहायता दी है।

आयुर्वेद दिवस

यह उन संतो एवं महर्षीयों की देन है जिनमें धन्वन्तरि का महत्वपूर्ण स्थान है। आयुर्वेद दिवस धन्वन्तरी दिवस के रुप में पूजनीय है। दक्षिण भारत में इस दिन को चिकित्सा व्यवसाय से जुडे लोग विशेष पूजा उत्सव के रुप में मनाते हैं। आयुर्वेद को यदि अन्य चिकित्सा पद्धति की जननी कहा जाये तो गलत नहीं होगा। इसका अति प्राचीन गौरवशाली इतिहास रहा है। आयुर्वेद की उपयोगिता में जड़ी बूटियों का विशेष योगदान रहा है। कुछ महवपूर्ण जड़ी बूटियों में हमारे आस-पास लगे पेड़ पोधे भी उपयोग किये जाते हैं जैसे नीम, तुलसी, गुलहर, नीबू, जामुन इत्यादि। ये सभी वे फूल एवं पत्तियां हैं जो आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं और दवाएं बनाने में महवपूर्ण भूमिका निभाती हैं इनसे मधुमेह, मोटापा, फोड़े-फुंसी, दाद जैसी कई बिमारियों से निजात पाया जा सकता है। इसलिए आयुर्वेद की उयोगिता में इनका विशेष स्थान है। योग आयुर्वेद का ही एक बलशाली पक्ष है जिसे विश्व ने मान्यता दी है। 21 जून योगा दिवस को समर्पित है।

आयुर्वेद दिवस के लिए कोई एक तारीक निर्धारित नहीं की गयी है। बिना थके एवं बगैर रुके के साथ चिकित्सा ही मात्रऐसा क्षेत्र है जहाँ विश्राम कम तपस्या अधिक है और आयुर्वेद में तो बहुत कड़ा परिश्रम है। आयुर्वेद दिवस के रूप में जो यह दिन मनाया जाता है वह आयुर्वेद की उपयोगिता को दर्शाता है। आयुर्वेद पुरानी चिकित्सा होने के साथ –साथ एक विश्वसनीय चिकत्सा भी है। और इससे जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जो एक जादू के समान हैं।