खांसी दूर करने के लिए अपनाएं होम रेमेडी

by Naina Chauhan
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खांसी होना एक कॉमन समस्या है, और इसका इलाज भी बहुत ही सरल है। बस ध्यान देने वाली बात ये है कि आपको घर पर रखी चीजों की सही जानकारी होनी चाहिए। ताकि कोई भी घरेलू नुस्खा उल्टा न पड़ जाए। तो आइए जानते है कितने प्रकार की होती है खांसी और कैसे इससे निजात पाए….

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मौसमी बीमारी है खांसी

खांसी होना एक आम बीमारी है जो मौसम के बदलने के साथ किसी को भी हो जाती है। हालांकि बच्चों में खांसी मौसम के बदलने की वजह से होती है और वहीं अडल्ट में खांसी की समस्या आमतौर पर खाने-पीने में लापरवाही के कारण होती है।

इन दो तरह की होती है खांसी

खांसी आमतौर पर दो तरह की होती हैं। एक सूखी खांसी और दूसरी गीली खांसी। सूखी खांसी में धसका-सा लगता है और गले में अधिक दिक्कत होती है। जबकि गीली खांसी में खांसी के साथ कफ निकलने की समस्या होती है।

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खांसी में क्या करें-

जब भी किसी होम रेमेडी के बारे में पढ़ते हैं तो आपको बताया जाता है कि खांसी होने पर हल्दी वाला दूध पिएं,लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि खांसी होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं जिससे शरीर को कोई नुकसान न हो।

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गीली खांसी में कभी न ले हल्दी वाला दूध-

अगर किसी को गीली खांसी है तो उस समय में खांसते समय कफ निकल रहा है, तो ऐसे में कभी भी हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए। क्योंकि दूध पीने से कफ की समस्या बढ़ सकती है।

गीली खांसी का घरेलू उपाय-

जब भी किसी को गीली खांसी होती है तो उस समय इससे अराम पाने के लिए मुलेठी चूर्ण और काली मिर्च का चूर्ण शहद में मिलाकर पेस्ट बना लेना चाहिए। फिर इस पेस्ट को धीरे-धीरे चाटते रहना चाहिए।

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सूखी खांसी में न खाएं मुलेठी-

अगर आपको सूखी खांसी हो रही है यानी ऐसी खांसी, जिसमें गले में अधिक दिक्कत हो रही हो लेकिन खांसी में कफ ना आ रहा हो तो आपको मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे आपको अधिक लाभ नहीं होगा। बल्कि कुछ केसेज में धसका उठने की समस्या बढ़ सकती है।

सूखी खांसी में क्या करें-

अगर आपको सूखी खांसी है तो आपको इससे राहत पाने के लिए हल्दी वाल दूध पीना चाहिए। यह आपकी खांसी को ठीक करने का काम करेगा। साथ ही खांसी के कारण होने वाली वीकनेस और मसल्स पेन में राहत देता है।

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बच्चों का रखें अधिक ध्यान-

अगर मौसम के बदलने से बच्चे को खांसी हो गई है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर बदलते मौसम में बच्चों की सेहत को लेकर जरा-सी भी लापरवाही बरती जाए तो मौसमी खांसी उनमें निमोनिया का रूप भी ले सकती है।